SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 174
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१६४) रोग उपनोरे, कवण करमना भंगरे त्रुटक-मुनिराज भाखे जंबुद्वीपे, भरत सिंहपुर गाम ए । व्यवहारी वसु तास नंदन, वसुसार वसुदेव नाम ए ॥ वनमाहे रमतां दोय बंधव, पुण्ययोगे गुरु मल्या ॥ वैराग्य पामी भोग वामी, धर्म धामी संचर्या ॥४॥ ढाल-लघु बांधवरे, गुणवंत गुरु पदवी लहे ॥ पणसय मुनिनेरे, सारण वारण नितु दिए ॥ कर्मयोगेरे, अशुभ उदय थयो अन्यदा ॥ संथारेरे, पोरिसी भणी पोढया यदा ब्रटक-सर्वघाति निदव्यापी, साधु मागे वायणा ॥ उंघमां अंतराय थाता, सूरि हुआ दूमणा ।। ज्ञान ऊपर द्वेष जाग्यो, लाग्यो मिथ्या भूतडो॥ पुण्य अमृत ढोली नांख्युं, भर्यो पापतणो घडो ॥६॥ ढाल-मन चिंतवेरे, कां मुज लाग्युं पापरे ॥ श्रुत अभ्यासोरे, तो एवडो संतापरे । मुज बांधवरे, भोयण सयण सुखे करे ।। मूरखनारे, आठ गुण मुख उच्चरे ॥७॥ अटक-बार वासर कोइ मुनिने, वायणा दीधी नहीं। अशुभ ध्याने आयु पूरी, भूप तुज नंदन सही ॥ ज्ञान विराधन मूढ जडपणुं, कोढनी वेदन लही ।। वृद्ध बांधव मान सरवर, हंसगति पाम्यो सही ॥८॥
SR No.023524
Book TitleGyanpanchami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManek Bahen
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1914
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy