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________________ (५) बासठ धनुष । पांचमी नरके । जघन्य सादी बांसठ धनुषनी । उत्कृष्टी सावा सौ धनुषनी। छठी नरके । जघन्य सवा सौ धनुष । उत्कृष्टी अदीसे धनुष । सातमी नरके । जघन्य अदीसे धनुष । उत्कृष्टी पांचसे धनुषनी । दश भवनपती व्यंतर । योतीषी । ए बारा डंडके जघन्य आंगु. लनो । असंख्यातमो भाग। उत्कृष्टी सात हाथ नी। वैमानीकमां जघन्य आंगुल नो असंख्यात मो भाग । उत्कृष्टी पहिले बीजे देव लोके । सात हाथनी । बीजे चोथे देवलोके ६ हाथनी । पांच में छठे देवलोके पांच हाथनी। सातमें आठमें देवलोके चारहाथनी। नवमें दशमें अग्यारमें बारमें देवलोके। तीन हाथनी देही । नवप्रवेयकें बे हाथनी देही । पांच अनुतर विमाने । एक हाथनी देही। ए तेर डंडके देवताना । उत्तर वैक्रीय करे तो लाख जो जननी देही । पृथ्वी, पानी, अमि, वायु, ए चार दंडके जघन्य । तथा उत्कृष्टी अवगाहना । आं.
SR No.023523
Book TitleTattvabodhak Kalyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemshreeji
PublisherHemshreeji
Publication Year1916
Total Pages100
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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