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________________ ( ५६ ) परसि ७ स्त्री चरिया९नीसिया १० सझा ११ अकोस १२ बंध १३ जायणा१४ अलाभ १५ रोग १६ तणफासा १७ मल १८ सत्कार १९ प्रगन्या २० आगन्या २१ दर्शन ॥ २२ ॥ चाखि कर्म थकी परीसा उपजे ज्ञानवरणी कर्म ॥ २ ॥ परीसा उपजे ॥ २० ॥ ११–१३–१५–१७–१९ ॥ २१ ॥ वेदनी कर्म थकी ॥ ११ ॥ परसा उपजे १२ - ३ - ४५ - ९ मोहनी कर्म थी ८ परीसा उपजे दर्शन मोहनीथी परीसा उपजे ॥ २२ ॥ मो चारित्र मोहनी थी ७ परीसा उपजे ॥ ६-७-८-१०-१२-१४९९ ।। एवं ७ ॥ अंतराय कर्म थी १५ परीसा उपजे एवं ४ कर्म थी २२ परीसा उपजे || पहिला गुणठाणासुं मांडीने नवमा गुणठाणा सुधी २२ परीसा उपजे ते मांही २० वेदे २ न वेदे सीत होवे तहां उष्ण नहीं उष्ण होवे तिहां सीत नहीं ||१|| चरिया होवे तिहीं निसिया नथी निसि होवे तिहां चरिया नथी ॥ २ ॥ दसमे इग्यारमे बारमे गुणठाणा १४ परीसा उपजे ॥ इहां >
SR No.023523
Book TitleTattvabodhak Kalyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemshreeji
PublisherHemshreeji
Publication Year1916
Total Pages100
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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