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________________ । २८) पांच विमान छे, तेउपर वारयोजन सिद्धसिलाछे। ॥ हवे चोवीसमें प्राण द्वार कहे छे ॥ हवे.दस प्राणना नाम कहे छ । पांच इंद्री, त्रण बल, सासोस्वास, अउखु ए दस प्राण छ । नारकी तेर देवता, मनुष्य, तीर्यच पंचेंद्री ए सोल दंडके दस प्राण, पांच थावर, ने फरस इंद्री काय बल, सासोस्वास, आउखू, बेइंद्री ने ६ प्राण । फरसइंद्री, रसइंद्री, वचन बल, काय बल, सासोस्वास, आ, उखु । तेइंद्रीने सातप्राण नाक सहित करिये छ । चौरिंद्री ने आठ प्राण आंख सहित करिये ॥ ॥ हवे पचवीसमुं संपदा द्वार कहे छ । संपदा तेवीस ना नाम । चक्र रत्न, छत्र रत्न, दंड रत्न, खडग रत्न, कांगणी रत्न, चर्म रत्न, मणी रत्न, ए सात एकेंद्री रत्न छ । गाथापति, सेनापति, पुरोहित, वार्षिक, अश्व रत्न, गजरत्न
SR No.023523
Book TitleTattvabodhak Kalyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemshreeji
PublisherHemshreeji
Publication Year1916
Total Pages100
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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