SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपदेशमालाविशेषवृत्तिः ॥ २४॥ मजत अवि य-निम्मिउ मंडलि लंछणु छणमयलंछणह, किउ अघडंत घडतउ दुजणु सजणहं। रणसिंहकथा हयविहिविहिय धणहट्ठ निट्टर मुट्ठि जिणि, मह पिययम अकलंकह दिन्नु कलंकु तिणि ।। ३६४॥ चिंतइ एसा रयणवईए विलोइय विलीओ। अइनिन्नेहो जाओ अवन्नवाओ धुवं मज्झ ॥ ३६५ ॥ एसा जइवि वराई कया-1y वराहा परोवरोहेण । तहवि हु मए इमीए उवयरियव्वं किमन्नण ॥ ३६६ ।। उवयारह उवयारु जु किजइ लाहणपडिलाहणं तं दिजइ । अवयारहं उवयारु करंतह, पहिली लीह मज्झि गुणवंतह ॥३६७। कइया वि तओ हरिसेण नियवरं पत्थिओ पयत्तेण । कुमरो कमलवईए तेणुत्तं भणसु जं देमि ॥ ३६८ ॥ जइ एवं ता एसा दुव्वा मज्झ सरिसिया सामि ! । एवं तुज्झवि मज्झवि मज्झत्थगुणेण माहप्पं ॥ ३६९ ॥ जइ एयाए कहमवि तीए पावाए पेरियाए कयं । तहवि हु मह खमियव्यं विसिटुकुलसंभवो तंसि ॥ ३७० ॥ इत्थी नियहियया ईसाविसमोहिया सकजपरा । फुसिओ एस कलंको एवं तीए कुणंतीए ॥ ३७१ ॥ अह | अन्नया कयाई विन्नत्तो पत्थिवो कुमारेण । कणयपुरीए पयाणे अणुजाणइ सो वि समयन्नू ॥३७२।। बहुदासीदासभूसणचीणंसुयकुंकुमाइ दाऊण । संवाहिया सदुहिया पडिया पाएसु पियराणं ॥ ३७३ ॥ करितुरयसंदणाईकंचणकलहोयवसणदेसाई । दाऊणं रणसीहो विहियपणामो अणुनाओ ॥ ३७४ ।। संचलिओ सुमुहुत्ते पाडलिसंडस्स सीमभूमीए । सेणासामग्गीए उग्गाए जाव संपत्तो ।। ३७५ ।। ता पुव्वमेव विन्नाय अब्भुयब्भुयधुयवुत्तत्तो। पत्तो पच्चोणीए स कमलसेणो महासेणो ॥ ३७६ ॥ साहुणओ पाहुणओ धरिओ सो तेण कइंवि दियहाई। कमलबई कमला वित्र अब्भुयचरिया सुगोरविया ॥ ३७७ ॥ पायप्पणया आसी सिऊण आलिंगिऊण उच्छंगे। काउमिणं सा भणिया रुयमाणीए कमलिणीए ॥ ३७८ ॥ पइपरिभूयावत्थे पत्ता किं नेह कुलिसकणकढिणा । 'दुहियाणं दुहियाणं, सरणं पेईयहरमवस्सं' ॥ ३५९ ॥ जीवाविया सईओ कुक्खी लज्जाविया न मे तुमए । आप ॥२४॥ १ निम्मियउ B I २ धणढह । OneDEORDCCCCCRELECIPEReme exceezperpetrat
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy