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________________ उपदेशमालाविशेषवृत्तौ | श्रीमेतार्यमुनिसन्धिः। ॥ २७७॥ PCCracetamo पिहिऊण कवाडे, सकुडुंबो लेइ जइवेसं ॥ ९३ ॥ कणयजवाणयणत्थं, आगयपुरिसेहिं पेक्खिउं कहिओ । मेयज्जमहारिसिघायवइयरो सो कलायकओ ॥ ९४ ॥ अइवियडभिउडीभंगी-भंगुरभालेण राइणा स तओ। सकुडंबो आणीओ(णत्तो) वज्जो दुम्मारदंडेण ॥ ९५ ॥ उदंडचंडडंगा-विहत्थहत्था नरिंदसुहडा तो। पत्ता पेक्खंति धरे, तं पब्बइयं सहकुलेण ॥ ९६ ॥ डंगग्गे काऊणं, तहावि नीओ निवंतिए तेहिं । सकुलो वि साहुवेसेण, नरवई धम्मलाभेइ ॥ ९७ ॥ भणियं निवेण मुंचह, इमस्स दंडेण होइ उडाहो । ता मह अलंघणिज्जं, सासणमेयं सुणावेह ।। ९८ ॥ नइ वयमेयं एयाण, कोवि जा जीवियं पि मिल्लेहि। ता सारीरियदंडेण, निग्गहं पत्थिवो काही ॥ ९९ ॥ जह सामइयं मेयजमहरिसी कासि निप्पकंपमणो । पाणपहाणपसत्ते वि, तह परेहिं पि कायव्वं |॥ २०॥ एतत्सामयिकमाश्रित्यान्यैरप्युक्तम्-जो कुंचगावराहे, पाणिदया कुंचगं तु नाइक्खे । जीवियमणुपेहतं, मेयजरिसिं नम सामि ॥१॥ निष्फेडियाणि दोनिवि, सीसावेढेण जस्स अच्छीणि । नय संजमाउ चलिओ, मेयजो मंदरगिरिव्व ॥ २॥ तथा| मूर्नावबद्धो नववर्धबन्धनैः, स जाव बद्धोऽत्र यथैव मूर्धनि । यस्तस्थिवानद्भुतकर्मकर्मठो, ममास्तु मेतार्यमुनिः स मुक्तये ॥२०३।। इति मेतार्यमहामुनिसन्धिः ।। पं. ६००० Homezzerberocorecadeecare 00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 ॥ समर्थितं प्रथमखण्डमुपदेशमालावृत्तेरिति ॥ 1000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000००४ deemero ॥ २७७॥
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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