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________________ अवन्तिसुकुमालसन्धिः । | लंकिल्लइ उरकडिहिं विसालउ, जिव दंभोलिदंडु सोवालउ । पाणिपायपायडपावहिं तसु, नववियसंतसोणपंकयकसु ॥१४॥ उपदेशमाला-NI बत्तीसइ भजहिं रइसहसहि सो कीलइ जिव देउ दिवि । सत्तमभूमितलि हिमगिरिनिम्मलि सवि इंदियमोकल करिवि ॥१५॥ विशेषवृत्तौ सिरि सुहत्थिमुणिनाहु कयाइ वि, जामिणिजामि पढमि परिभाविवि । नलिणीगुम्मविमाणह करउ, आगमु गुणइ गुणग्गल धीरउ ॥१६।। सो महुमहुरवाणि निसुणतउ, किन्नर किंकरत्तु* तसु पत्तउ । तुंबुरु सो वि सकंठहि रुद्धउ, कुकु न 'स झुणि निसुणतउ तुदउ ॥१७॥ ॥ २६३॥ तं अवंतिसुकुमालु सुणेविणु, सत्तमभूमिभागु मिल्लेविणु । आउ छट्ठभूमिहिं आणंदिउ, जाउ सुर्णतउ सवणेगिंदिउ ॥१८॥ जिव जिव झुणि सवणेहिं पईस्सइ, तिव तिव तसु हियडउं तणु वियसइ । जिव जिव आगमत्थु परिभावइ,तिव तिव उत्तरित्तु तलि आवइ जायउ जाईसरु सुमरइ सुंदरु नलिणीगुम्मविमाणसुहु। नरभोगविरत्तउ जाउ निरत्तउ, तं जाणइ सउ गुत्तिदुहु ॥२०॥ स लहु पहुपायपासंमि पत्तो तउ, पणमिउं पंजली पुच्छए अग्गउ । पयडमेवं सरूवं परूवंतया नलिणिगुम्माउ तुब्भेवि किं पत्तया ॥२१॥ ४भणइ सूरी विमाणुत्तमाउ तओ, मणुयजम्मंमि नेममि अहमागओ। तहवि जाईसरो सरसि तं जारिसं, मुणुउं अहयंपि सुत्ताउ तारिसं तहिमहं गंतुमच्चतमुकंठिउ, पहु! पहेणं किणा जामि जंपसु इउ । गम्मए तंमि थामंमि सम्म महासत्त ! सिक्खाए दिक्खाए नहु अन्नहा देह दिक्खं च सिक्खं च संपइ महं, सामि ! जह जामि काऊण तं अवितहं । सत्थवाहीएऽणुन्ना मणुन्ना महं, नत्थि तो वच्छ ! दिच्छामि तं तुह कहं ॥२४॥ कालखेवखमो नाह ! नाहं तउ, पव्वइस्सामि सयमेव इय निच्छउ ।। . इय निच्छउ जाणिवि गुणु परियाणिवि होउ सयं मा गहियवउ । तो दिक्खा दिन्नी तेण पवन्नी जइ जायउ साहसनिलउ ॥२५॥ वच्छ ! पत्तं पवित्तं चरित्तं तए, पालियव्वं चिरंकालमेयं जए। सग्गअपवग्गसंसग्गसंसाहणं, होइ किजंतमेवं इमं सोहणं ॥२६॥ नमिय नवसाहुणा वुत्तमुत्ताणय, सामि! साहेमि अजेव अप्पाणयं । नलिणिगुम्मे विमाणमि भोगूसुगो, संपयं पदिओ मुकमणुयाउगो ॥२७॥ अह रिसि गुरुसगासाओ सो निग्गओ, बोरि-कंथारि-कंटी-कुडंग गओ। छिन्नसाहि व्व साहीण साहसरसो निवडिओ तत्थ * त्थु DI गुजणि B सुझुणि DI ३ जिमजिम B. D | ४ भणइ सूरिवि नाणुत्तमाओ तओ मणुयजभ्मम्मि नेममि तह आगओ । DAREKACTRICCrachan2 RDCORRECRecenmarveerenveerence २६३॥
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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