SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपदेशमालाविशेषवृत्तौ| ॥ २५९॥ oeneroespecreezoeseezeecret परपेम्मपरावसपेक्खिबहुय, टलवलिवि मरेसहिं सव्वि वहु य । तुहुं सरसकमलकोमलसरीरु, तउ करिवि न सकसि नणु अधीरु ॥५९॥ वयनिच्छउ पिच्छिवि तासु माइ, अइनीससे वि एरिसु भणाइ । 'कमकमिण मेल्लि तूलीउ ताव, खरफरुसतणूलय होइ जाव ॥६०॥ | शालिभद्रमनिय निय वि माइ मोहंधयार, झरहर झरंतबहुवाहधार । पडिवज्जइ जं जणणीए वुत्तु, सो साव सलक्खणु एक्कु पुत्तु ॥६१॥४ हर्षिसन्धिः। तहि समइ सामि पुन्नेहिं तासु, सिरिवीरु पत्तु केवलि विलासु ॥छ।। | अह सालिसहोयरि अइतुच्छोयरि सत्थवाहधन्नयघरणि । अब्भंगु करती अरु रोयंती आपुच्छिय तिणि तह जि खणि ॥६२।। केण अवमाणिया रुयसि पाणप्पिए, नावमाणं कुणइ कोवि मे तई पिए। सालिभद्दो उ दिक्खाकए सज्जए, जेणमेगेग तूलि दिणे वजए ॥६३।। ताव धन्नेण धन्नेण सा वुच्चए, हेल्लि ! काउरिसो कायरो सो जए । एक्कहेलाए नेहं न जो कट्टए, तस्स को नाम नामपि उग्घट्टए ॥६४॥ भारिया भासए जइसिसूरो खरो, तान कि होसि अजेवतं जइवरो। भणइ सो एत्तियं चिय पडिक्खंतओ, पिक्खियव्वोऽहुणा वयमहं लिंतओ आह सा दसगुणं पुणवि रोयंतिया, नाइ वजाया विरहसंतत्तिया । एरिसो सामि हासो मए हा कओ, छलु तए लेवि सो चेव सच्चीकओ अहह मा नाह ! खलु खिवसु खारं खए, दूसहो दोहि विरहो अहो मह जए। एस पाणेस तुह नाम जइ निच्छउ, पव्वइस्सं तओऽहं पिकिं पच्छउ जच्चअचाहिं चेईहरे अंचए, कुणइ सारं च साहारणे संचए । नरसहसवाहिसीयाए आरोहए, दितु दीणाइ दाणाणि सो सोहए ॥६८॥ समवसरणंमि वीरस्स पत्तो तओ, दिक्खिओ देवदेवेण सकलत्तओ ॥छ।। इय सामिहिं दिक्खिओ तियसहं सक्खिओ सालिभदि सो जाणियउ। तो अइचिंताविउ भणइ हियाविउ हउं तिणि अग्गल होडियउ ॥६९।। सालिभदो वि संवाहमव्वाहयं, कुणइ जिणबिंबसंघाइपूयाइयं । नवनहुल्लिहणण्हाणाइणा सोमिओ, सुरहिहरिचंदणद्दवसमालंभिओ ॥७॥ कडयकुंडलकिरिडाइ सिंगारिउ, सेयनिप्पट्टपटूंसुयावारिउ । रयणकलहोयसीयासमासीणउ, असमसिवसोक्खलक्खंमि संलीणउ ॥७१।। तारतूरारवाडंबरेणं तओ,सामिणो समवसरणंमि संपत्तओ। तेण नियपउमहत्येण जा दिक्खिओ अमयसितो व्व ता जाओ सो सुसिक्खिओ १ कमकमिलण B. कमकमि मेल्हि 0. DI ॥ २५९।
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy