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________________ सिद्धांत रहस्य ॥५१॥ जातिना देव अने पांच नरक ए २७५ भेदनी. गति ७० भेदनी ते १२ देव०, ९ लोकां०, ९ ग्रैवे० अने ५ अनुउत्तर वि० ए ३५ जातिना देवना अपर्या० ने पर्याप्तानी. श्रावकमां आगति २७६ भेदनी ते पूर्वोक्त २७५ अने छठ्ठी नरक, ए २७६ भेदनी गति ४२ भेदनी ते १२ देव० ने ९ लोकांतिक, ए २१ जातिना देवना अप० ने पर्याप्तानी. समदृष्टिमां आगति ३६३ भेदनी ते ९९ जातिना देवना पर्याप्ता १०१ संज्ञी मनुष्यना पर्याप्ता, १०१ समुच्छिम मनुष्यना अपर्याप्ता १५ कर्मभू० मनुष्यना अपर्याप्ता, तिर्यचना ४८ भेदमांथी ते वायुकान्ना ८ छोडीने शेष ४० अने सात नरकना पर्याप्ता, ए सर्व मलीने ३६३ भेदनी. गति ४३० भेदनी ते ९९ जातिना देव, १०१ संज्ञी मनुष्य. ५ संज्ञी तिर्यंच अने ६ नरक ए २११ना अप० ने पर्याप्ता एवं ४२२ अने ३ विकलेंद्रिय, ५ असंज्ञी तिर्यंच ए आठना अपर्याप्ता ए सर्व मलीने ४३० भेदनी. मिथ्यात्वीमां आगति ३३६ भेदनी ते पूर्वोक्त ३३३ भेदमांथी ५ अनुत्तर वि० छोडीने शेष ३५८ तेमां तेउ - वायुकान्ना ८ उमेरतां एवं ३६६ भेदनी. गति ५३५ भेदनी ते ५६३मांथी ९ लोकांतिक ने ५ अनुत्तर वि० ए १४ना अपर्या० ने पर्याप्ता, ए २८ भेद छीडीने शेष ५३५नी. स्त्री वेद ने पुरुष वेदमां आगति ३७१ भेदनी ते पूर्वोक्त ३६६ भेदमां ५ अनुत्तर वि० उमेरवा. गति पुरुष वेदनी ५६३ भेदनी अने स्त्री वेदनी ५६१ भेदनी ते सातमी नरकना अप० ने पर्याप्तानी वर्जवी. नपुंसक वेदमां आगति २८५ भेदनी ते ९९ जातिना देवना पर्याप्ता, पूर्वोक्त-लट १७९ भेद अने ७ नरकना पर्याप्ता, ए सर्व मली २८५ भेदनी. १ श्रीमान् देवचंद्रजी महाराज ( खरतरगगच्छीय ) कृत" विचारसार " ग्रन्थमा चोथे गुणठाणे जीवना भेद ३२३ कट्टेल छे. २ नारक, देव अने युगलिया, अपर्याप्त अवस्थामां मृत्यु न पाने, माटे आगतिमां नारक, देवने युगलिकना अपर्याप्ताना भेदो गणना नहि. गतिआगति ॥५१॥
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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