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________________ सिद्धांतरहस्य ॥२०॥ ५ कौडिन्य गोत्र ६ परलोक छे के नहि ए संशय०७ वणसो जणा साथे दीक्षा ८ छन्त्रीश वर्ष गृहवास ९|| | दश वर्ष छद्मस्थ०१० सोलवर्ष केवल०११ सर्वायुष्य ६२ वर्ष० १२॥ इग्यारमा गणधर राजगृहि नगरीमा गणधरोना उपना १ बलपिता २ अतिभद्रामाता ३ पुष्य नक्षत्रे जनम्या ४ प्रभासनाम ५ कौडिन्य गोत्र ६ मोक्ष छे के १२दारनुं नहि ए संशय०७त्रणसो जणा साथे दीक्षा० ८ सोल वर्ष गृहवास ९ आठ वर्ष छद्मस्थ०१० सोल वर्ष केवल वर्णन |११ सर्वायुष्य ४० वर्ष० १२ ॥ सर्वे गणधरो जातिवंत ब्राह्मणो हता वली तेओ विद्वान अध्यापको हता सर्वे ॥२०९॥ द्वादशांगीना धारण करनारा थया नव गणधरो वीर प्रभुनी हयातीमां राजगृही नगरीमां मोक्षं गया वीर प्रभु मोक्षं गया पछी इंद्रभूति (गौतम) तथा सुधर्मा स्वामी अनुक्रमे राजगृही नगरीमा मोक्षे गया सर्वे गणधरोए छेवटे एक मासर्नु पादपोपगमन अनशन करेल छे. सर्वलब्धि युक्त प्रथम संघयण अने समचउरंस संठाणवाला सर्वे गणधरो हता इती गणधर वर्णनं समाप्तं ॥ अथ वीश विहरमान जिनना सोलद्वार कहे छे-पेला सीमंधर स्वामी १ जंबूद्विपना महाविदेह क्षेत्रमा थया २ आठमी पुष्कलावती विजय ३ पुंडरगिणि नगरीमा जनम्या ४ श्रेयांसराजा पिता ५ सत्यकी। माता ६ वृषभलंछन ७ रुकमणी स्त्री ८ सुवर्ण वर्णदेह ९ पांचसे धनुष्य देहमान १० चोर्याशी लाख पूर्वन सर्व आयुष्य ११ तेमां २० लाख पूर्व कुंवरपणे रथा १२ त्रेसठ लाख पूर्व राज्य भोगव्यु १३ एक लाख पूर्व २ हाल विहरमान वीश तिथंकरो महाविदेहमां केवली तरिके विचरे थे पण थया ए भूतकालनु वचन जन्मने आश्रयी समजवू.
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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