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________________ R सिद्धांतरहस्य ॥१५४॥ EASERE मूलगुण स्थिर सहायादिगुण-समुदायरुप. आकाशास्ति नो स्वद्रव्य, मुलगुण अवकाशदान प्रमुखगुणसमुदायरुप. कालनो स्वद्रव्य, वर्तनादि गुण-ममुदायरुप. पुद्गलानो स्वद्रव्य, ते मुलगुण पुरण, पद्रव्य गलनादि गुण-समुदायरूप. जीवास्ति नो स्वद्रव्य, ते मूलगुण उपयोग प्रमुखगुण-समुदायरुप. स्वक्षेत्र, विचार ॥१५४॥ ते द्रव्यनुं अवगाहपणुं (प्रदेशमान). ते धर्मास्ति. अने अधर्मास्ति० ए बे द्रव्यनो स्वक्षेत्र, असंख्यात प्रदेश छे अने आकाशास्ति नु स्वक्षेत्र, अनंत प्रदेश छे. कालद्रव्यर्नु स्वक्षेत्र, समय छे. पुद्गल द्रव्यनुं स्वक्षेत्र, एक परमाणु एवा अनंता परमाणुओछे. जीव द्रव्यर्नु स्वक्षेत्र, असंख्यात प्रदेशछे. स्वकाल, ते पोत| पोताना द्रव्यमा अगुरुलघुनो, षद्गुणहानि वृद्धिरुपछे. स्वभाव, ते पोतपोताना गुण-पर्यायनी परिणतिए सर्व द्रव्यो परिणमेछे. एम दरेक द्रव्यमा पोताना स्वद्रव्यादि ४ बोलछे; पण बीजा द्रव्यना ४ बोल नथी. माटे स्वद्रव्यादिकथी सत् अने परद्रव्यादिकथी असत्छे. हवे वक्तव्य अने अवक्तव्य पक्ष कहेछे:-वक्तव्य ते वचनथी * कहेवा योग्य, छए द्रव्योमा अनंतगुण-पर्यायछे अने अवक्तव्य ते वचनथी न कही शकाय, तेवा अनंतगुणपर्यायो छे. जे वक्तव्यछे तेथी अवक्तव्य अनंतगुणा छे; ते सर्व भावो केवलीप्रभुए दीठा, तेने अनंतमें भागे प्ररुप्या अने तेना अनंतमें भागे गणधर महाराजे सूत्ररुपे गुंथ्याछे; तेना असंख्यातमें भागे वर्तमानकालमां आगमो रह्याछे. ए आठ पक्षो कह्या. हवे नित्यानित्य पक्षनी-चउभंगी कहेछे:-जेनी आदि नथी अने अंत पण १ जेटला क्षेत्रमा द्रव्य अवगाही नै रहे ते स्वक्षेत्र, २ सत्-असत् पक्षधी सप्तभगी थाय के. RSS
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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