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________________ i ९६ नगनः काव्यमाला | 1.1.15. 1. 15/1-1-5.1. s भ-य-वि-व-जि-त-कं-तु-ल-घी-य-सामू । (1) (2) (2) (3) (4) (55 (•)(c) (<X1•X11X12) सगणः ཁ• • सगणः सगणः na ma 1. 1. 5-1. 1.6-1.1.5-1-5 भगनः नगणः 1. रण-भू-मि-प-रा-चु-ख-व-त्-नां (१)(२) (a) (१) (~) (६) (०) (c) (a)(१०)(११) नगणः भगनः भगणः I.. 1- -5.1.15.1. s भ-व-विशी- प्र-ग-ति-ह-रि-ण-पु-ता ॥ (1)(2)(2) (8) (4) (4) (0) (<X<X1•)(19)(13) अपरवत्रं नौ रलौ ग्, नूजौ ज्रौ । ५ । ४० ॥ यस्य प्रथमे पादे नकारौ (ii.in) रेफ (Sis) लकार (1) गकारा (s) श्व, द्वितीये नकार (ii) जकारौ (isi) जकार (ISI) रेफौ (sis) च, तद्दृत्तम् 'अपरव' नाम । तत्रोदाहरणम् वगणः रगणः रगणः ३० गु० रगणः 1. FS. 1. 5-P-5 स-कृ-दपि कृ-प-णे-न चक्षुषा (१) (२) (1) (1) (५) (4) (ख) (c) (९)X(१०) (1?) जगणः वगणः 'नगणः नगणाः Ma Ma 1.1.1.1.1-5.1. S--5 नगणः da 1.1. 4. 5. 1-1. S. 15.1.s न-र-व-प-श्य-ति-य-स्व-वा-न-नम् । न-पु-न-र-प-र-व--मी-क्ष-ते (+XaXaX®X«X4X•X<X«X••X11) -रमणः (1)(3)(1)(1) (4)(4) (0)(c)(4)(10X(99)(13) रगणः ल० गुं० १. 'भयविसर्जितहेतिलघीयसाम्' इति लि. पुस्तके. २. 'अयुजि ननरला गुरुः समे परवमिदं नजो जरौ' इति प्रा० पि० सू० २।३।१८ अस्यैव 'पल्लवितान' मिति नामान्तरं वृ० म० को ० ।
SR No.023483
Book TitleChandshastram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPingalacharya, Kedarnath
PublisherParimal Publications
Publication Year1994
Total Pages322
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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