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________________ २०1 वृत्तमौक्तिक विषय पृष्ठांक ३४४-३४५ ३४६-३५१ ३५२-३५६ ३५७-३६० ३६१-३६२ ३६३-३६६ वर्णमेप्रकरणम् वर्णपताका-प्रकरणम् मात्रामेर-प्रकरणम् मात्रापताकाप्रकरणम् वर्णमकंटी-प्रकरणम् मात्रामर्कटी-प्रकरणम् वृत्तिकृत्प्रशस्तिः परिशिष्ट - क्रमपञ्जिका प्रथम परिशिष्ट टगणादि कला-वृत्तभेद-पारिभाषिक-शब्द-सत द्वितीय परिशिष्ट (क) मात्रिक छन्दों का प्रकारानुक्रम (ख) पर्णिक छन्दों का प्रकारानुक्रम (ग) विरुदावली छन्दों का प्रकारानुक्रम तृतीय परिशिष्ट (क) पद्यानुक्रम (ख) उदाहरण-पद्यानुक्रम चतुर्थ परिशिष्ट (क १) मात्रिक छन्दों के लक्षण एवं नामभेद (क २.) गाथादि छन्द-भेदों के लक्षण एवं नामभेद (ख) पणिक छन्दों के लक्षण एवं नामभेद (ग) छन्दों के लक्षण एवं प्रस्तारसंख्या (घ) विरुदावली छन्दों के लक्षण पञ्चम परिशिष्ट . सन्दर्भ-प्रन्यों में प्राप्त वणिक-वृत्त षष्ठ परिशिष्ट ____गाथा एवं दोहा-भेदों के उदाहरण सप्तम परिशिष्ट प्रन्थोखत-प्रन्थ-तालिका अष्टम परिशिष्ट छन्दः शास्त्र के अन्य और उनकी टीकायें सहायक-प्रन्थ ३६८-३७२ ३७३ - ३८७ ३७३-३७८ ३७९-३८५ ३८६- ३८७ ३८८-४१३ ३८८-४०१ ४०२-४१३ ४१४-४६६ ४१४-४२१ ४२२-४२९ ४३०-४५० ४५१-४६१ ४६२-४६६ ४६७-५१२ ५१३-५१८ ५१६-५२१ ५२२-५३४ ५३५-५३८
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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