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________________ अनुबन्धः चन्द्रांशुशुभ्रा चन्द्रो राम इवाभाति 255 दशाननारेः 140 26 दिगङ्गनाः पूर्व 249 दिव्यभूषणविभू ... 200 दूर्वाकुरीयन्ति 39 141 ददृशा ग्धं मनसिज 138 & 212 243 दृष्ट्वा सुरैः धनुषि 8 3 14 दोर्दण्डौ विटपाविव 39 दोषानुषङ्गकलितो जगच्चक्षुः पिधाय जगत्सु देवता जय जय वीरमाय ज्योत्स्लीयन्ति तनयेन परित्यक्त तमस्तरुकुठाराग्रं तमांस्यरात्रीणि तमुपाद्रवदुद्यम्य तारातनूजाङ्गद तिरोदधे सहस्रांशुः तीर्खा भूतेशमौलि त्वं करग्रहण त्वं केवलार्थार्जन त्वं जितो मन्मथो त्वां मार्गमाणो त्वां विप्रवास्य ३ ३ ६.१.२ १२ १३ १४ . . 213 धत्ते मारुतपुत्र 61 धरणीसुतावदन 153 धारिते मकरकर्ण 30 ध्यायन् जनो 135 40 . . 225 . न . 66 नटकुले निकटे 246 95 न तत्कवित्वं भुवि 244 :- 196: न तापापाहिनता 16 216 न दीनभावी धृत 118 53 नवरत्नखण्डखचितं 211 195 निबद्धदिव्यमाणिक्य - 163 - निरवयवं निर्दष्ट : 189 .. . निर्याते नगरात्तूर्ण : ... 156 205 नीतोपकण्ठ 117 ཨི་ཊ་ ཀྵ ཥ བྱཱ ཙ ཚོཨཱཙྪ་ द दक्षिणलवण
SR No.023454
Book TitleAlankar Raghavam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYajneshwar Dikshit, T V Sathynarayana
PublisherOriental Research Institute
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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