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________________ श्रीसनवाडामां शासनप्रभावनापूर्वक उजवायेल अद्भुत प्रतिष्ठामहोत्सव राजस्थानान्तर्गत मरुधरप्रदेशमां आवेल विश्वविख्यात श्री अर्बुदाचल अने श्रीजीरावलाजी महातीर्थं निकटवर्ती श्रीसनवाडा गाममां आवेल पांच सौ वर्ष जेटला प्राचीन जिनमन्दिरनो जीर्णोद्धार वि० सं० २००८ थी श्रीसंघे शरु करेलो ते वि० स० २०१९ मां पूर्ण थतां, तेमां मूलनायक श्रीशान्तिनाथ भगवानादि जिनबिम्बोनी प्रतिष्ठा कराववानौ निर्णय कर्यो हतो. ए समये सनवाडा श्रीसंघ प्रतिनिधिमण्डल जावाल बिराजता स्व० पू० शासनसम्राटना सुप्रसिद्ध पट्टालंकार परमशासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्यप्रवर श्रीमद् विजयलावण्यसूरीश्वरजी म० श्री आदि ने प्रतिष्ठा अंगे पधारवा माठे साग्रह विनंति करतां प० पू० आ० म० श्री आदिए तेनो स्वीकार कर्यो, जेथी सनवाडा श्रीस घने अतीव आनंद थयो हतो. प्रा बाजुथी प्रतिष्ठा महोत्सवना मंगलमय मुहूर्ती स्व० पू० शासनसम्राट्ना पट्टालंकार परमशासनप्रभावक प० पू० श्राचार्यवर्य श्रीमद् विजयोदयसूरीश्वरजी म० श्रीना पट्टधर परमशासनप्रभावक प० पू० आचार्यप्रवर श्रीमद् विजयनंदनसूरीश्वरजी म० श्रीनी पासेथी वैशाख शुद १४ ने मंगलवारना ·
SR No.023450
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaylavanyasuri, Vijaysushilsuri
PublisherGyanopasak Samiti
Publication Year1969
Total Pages460
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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