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________________ क्योंकि परोपकार धर्म का पिता है, और धर्म से बढ़कर संसार में कोई सार पदार्थ नहीं है। प्रसंगप्राप्त यहाँ पर परोपकार की पुष्टि के लिये एक दृष्टान्त लिखा जाता है, आशा है कि पाठकों को वह अवश्य रुचिकर होगा। राजा भोज के दरबार में एक समय पंडितों की सभा हुई, उसमें साहित्य विधा में प्रवीण और शास्त्रपारंगत अनेक नामीगरामी विद्वान उपस्थित हुए। उस सुरम्य सभा में राजा भोज ने पूछा कि विद्वानो! कहो कि धर्म का पिता कौन है ? इस प्रश्न के उत्तर में पंडितों में नाना भाँति के विकल्प खड़े हो गये। किसी ने कहा कि—धर्म नाम युधिष्ठिर का है, इससे उसका पिता राजा पाण्डु है। किसी ने कहा यह ठीक नहीं धर्म अनादि है इसलिये इसका पिता ईश्वर है। किसी ने कहा यह भी अनुचित है क्योंकि निरंजन निराकार ईश्वर धर्म को कैसे उत्पन्न कर सकता है ?, और कई एक धर्मों में ईश्वर को उत्पादक नहीं माना जाता तो क्या उनमें धर्म नहीं है?। किसी ने कहा धर्म का पिता सत्य है, कारण कि सत्य से धर्म उत्पन्न होता है। किसी ने कहा मुझे तो यह उत्तर ठीक नहीं मालूम होता क्योंकि सत्य धर्म का उत्पादक नहीं, किन्तु अङ्ग माना गया है। इस प्रकार पंडितों में कोलाहल मच गया परन्तु सब का एक मत नहीं हुआ। तब राजा भोज ने अपने मुख्य पण्डित कालिदास से कहा कि तुमको एक महीने की अवधि दी जाती है, इसमें इस प्रश्न का उत्तर अच्छी तरह निश्चय करके देना, नहीं तो ठीक नहीं होगा। सभा विसर्जित हुई सब पंडित भारी चिन्ता में पड़े, परन्तु कालिदास को सब से अधिक चिन्ता उत्पन्न हुई। विचार ही विचार में महीने में एक ही दिन अब शेष रह गया, कालिदास चिन्तातुर हो अरण्य में चले गये परन्तु सन्तोषकारक कोई समाधान का कारण नहीं मिला। तब अपनी इष्टदेवी काली का स्मरण कर आत्मघात करने के लिये समुद्यत हुए, इतने में आकाशवाणी प्रगट हुई कि'महाकवे! मा म्रियस्व, त्वं रत्नमसि भारते । धर्मस्यैव पिता सत्यमुपकारोऽखिलप्रियः ।।१।।' हे महाकवि! मत मर, तूं इस भारतवर्ष में रत्न है, समस्त संसार को प्रिय धर्म का पिता निश्चय से उपकार है अर्थात् तूं यह निश्चय से समझले कि धर्म का पिता उपकार ही है। १५४ श्री गुणानुरागकुलक
SR No.023443
Book TitleGunanuragkulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshgani, Yatindrasuri, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashak Trust
Publication Year1997
Total Pages200
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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