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________________ ३ आग्रेय बहु जीवोने उपकारक होवाथी तेनुं भाषांतर गुजरातीमां वढवाणवाला शास्त्री हरिशंकर कालीदासे करी जैनी भाइओनी मददी छपानी बहार पाडेलु हतुं. पण हाल ते मलतु नहीं होवाथी अने घणा - जैनी भाइओने तथा - साधु साध्वीओने भणवा वांचवानुं सुगम होवाथी प्रातःस्मरणीय तपगच्छना पूज्यपाद गुरुणीजी महाराजश्री सौभाग्यश्रीजीना सदुपदेशथी अने तेमनी खास प्रेरणाथीज कोइनी कांइ पण मदद नहीं छतां तेनी योग्य कींमत राखी आ पूस्तक बहार पाडवामां आव्युं छे. जेओ साहेबना उपकार साथै तेमनुं टुंक वृत्तांत अहीं आपवामां आव्युं छे. आपने सुविदित छेके आ जैन शासनना प्ररुपक महान् वितराग तीर्थंकर भगवान होय छे तेमना अभावे सासन चलावनार आचार्य महाराजा होय छे. जेम कोने विशेष उपकारक आचार्य महाराजा होय छे तेमज श्राविकाओ तथा बालीकाओने विशेष उपकारक गुरुणीजी महाराजा होय छे. तेज न्याये आ पूज्यपाद पवित्र चारित्र भूषण गुरुणीजी महाराजश्री सौभाग्यश्रीजी महाराज साहेब पण हिंदुस्तानना घणा शहेरो अने गामोमां विहार करवा पूर्वक-श्राविकाओ अने वालीकाओने धर्म मार्गमां जोडवामां हमेशां उध्यमवंत अने घणाज खंत धराबनारा महापवित्र साध्वीजीओमांना एक उत्तम चारित्रवंत गुरुणीजी महाराज छे. एटलुंज नहीं पण तेमनो समुदाय पण गामो गाम विहार करवा पूर्वक अनेक उपकार करी रह्यो छे ते नीचे मुजब छे. तप गच्छना मुख्य प्रातः स्मरणीय परम पूज्य गुरुणीजी महाराजश्री जे श्रीजीनी शिष्याओ. गुरुगीजी श्री विजकोर श्रीजी. तेमनी शिष्याओ. विनयश्री जी. देव श्रीजी. हेमश्रीजी उत्तम श्रीजी उमेदश्रीजी. अने रिद्धीश्रीजी गुरुणीजी साहेब श्री देवश्रीजीनी शिष्याओ. भाव ·
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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