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________________ પ્રતદર્શન मारमा सम्प कयं घस्पार्धगरीयम बोनिमा नमः श्रीसर्वज्ञायायइकांनोजवा पास्फुटवचन घरी यंत्र चारनियेसरि णि प्राणाली प्रणयिरुगणोबल चीकारे । न होन द्यापि संवस फल्य तितमो शासानायानामानमनत्र जगदधिपतिश्रीजिनस वामक विद्यारो H2 किंवा विज्ञानविय मावधानं विश्रांत प्रकाशनवतियुग व तिष्ठाव्यमा तान्या सारोगा द्विरदयिडमिमा ममतिः संप्रज्ञा कञ्चिद्रव्य एका राय दिपरम० सिद्धि हिना सुपका सिंगान कल याम्या श्रित्य हा धिका सर्वोतम मतद्दिश्य जल्यो पि कायि मानाविजनाविदीनम तयः किंनिः पुनस्तताना सुमार जिसे दचिनान्ममाश्रितगिरा माघे कापतत्य सांवताः किव वय प्रदर्शन मनात सभ्याता की या विरह ननसविता व्यापारसारसतः सिद्धाम परमादेशः फलमिदंस कमलीनामाज्ञ नावाने महाविद वानाममबेनरश्ताक ने सकलब दिला युषां इबीक रक्षणाय मद सकिलो। मिध्यालय का रक मारको सरुहाव विज्ञान जातिस्मरण संगमः परवान स्क्याहा दमः । संजात दममंथन पूजामा किनिदा सुन मा माया याची कलमंदा बता अपि नश्यनिसंयामर ना! पारंप सम्पका दियोरात्मनाचा विविधिनाप्यनियाता लगव चामिता समसमानानावाय तरंग शासक शांडि संपाद्यबोधसंबंध सिद्धांताप्रबंब दिधनाथसंप्रतितना मिष्यातिसम्प के प्रति प्रयो तादव) विरतिसी कई [तसर्वविति। तथाविधा याना पडद्यांना इत्यवभ‍ गारपरी नानः करणतया सिद्धांता डहत्यका विद्यमावताएवं गाधाः काशिसुनदी तादिकामण संकलय नविन वालायनांतही ककलिकाल बला हालत म्हामाहपटला प्रभार सिंह प्रतिनिस मलबा विधम्मेराज नवा वष्टे मनाना मानो मिष्याञ्च मक्का डर उन वेडमा डलायम मोपलय सफा समुदि इसमा या दग्रहमंत्र माददोषपरमां मदद शिपोष पिरमा लटमादशियोषध) मितिधापामा मार्चनो को इ णाचानविनायो नरुका एतदर्शनसमाकमिति सिहावा पननामिकांमानयाः पर्वतः 10 विद्यार्थी नानिष्ट पंजाबाद डा. जावा कई उन कमनिष्ट ज्ञानदेव घायल संतशिखराचतं स दिति । तदर्यं वास व उष्टानाना मिति॥बाइतिपू श्री वाकररा तत्प्रशिधश्री श्री तिलकाचार्य निर्वाहितायां सम्यक्च होना सममित मतिमानो वसमा वीर शिलाः सुधगण संतान लोननिवारिवाल गजलधिषोलासं शीततिः सम्पका सिंध इतमतिवादी नमिहारत नश्तत्पल श्री श्रवण विसाश्रीघोषनावावर! अजयसिंहावतत्याहा दय् गाली गमाव "डामणि श्री वाकश्वरसूरिरित्यनि जाकारमाविका शश्रिये व्याख्याधमिविनयब घरसाद व्यापार यामासि दा किताः पयेतिस्म त त्यह साम्राद्यमिवष इयरगाः। धाता दिम समति सिंहगुरुबेचवान है वधूवदना के रेव च । डाइल धरावा ॥३॥ श्री हिसागर इपिशिताद्वितीयः श्री मां टतीयगदिश नारा नीतिविरधर्वः प्रज्ञातिरिककुलिश कृतिवादिशिलः ॥ ६श्रीमान् शिवप्रेम र मम जायतमः ॥ ॐ महलमदे प्राधि सूरमा निःसमासाः ॥मनवमतद्यामादाविधावदिन मोरावालिखित॥॥॥॥ करणनिति ल सत्र: संवा पझे कल हम लीला दाभो वश्विपामी श्वर्याःघडविन हट audi સમ્યક્ત્વપ્રકરણ સહ વૃત્તિ શ્રી કૈલાસસાગરસૂરિ જ્ઞાનમંદિર, કોબા, ગાંધીનગર नं. १२२५७, पत्र- 999 संज्ञा-K शात नमः श्रीसर्वज्ञाय । 33 سنه यद्वक्त्रांभोजवाप्याः स्फुटवचनघटीयंत्रचारेण नियंत्... संत श्रीमान् शिवप्रभसूरिः समजायत पञ्चमः परं कुतूहलमिदं य विरागाधिभूरभूत् ।।७।। श्रीसम्यक्त्ववृत्तिः समाप्ता शुभं भवतु... संवत् १५७१ वर्ष आषाढवदिनवमी रवो लिखितम् ।। Ker
SR No.023423
Book TitleDarshanshuddhi Prakaranam Aparnam Samyaktva Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2013
Total Pages512
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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