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________________ तत्वबिन्दुः २२२ प्रथम समये ग्रहित भाषाद्रव्य ने द्वितीय समयमा मूकेछे. पण तेज प्रथम समयमा मूकाती नथी,द्वितीय समय मृहीत भाषा द्रव्यने तृतीय समयमां वक्ता मूकेछे. वच्चे एक समयनुं अंतर पडेछे. द्वितीय समयमां; प्रथम समयमां गृहित भाषाद्रव्य, मुंचन तथा ग्रहण थायछे. एम प्रथम अने चरम समय मूकीने मध्यना समयमा भाषाद्रव्यनुं ग्रहण अने मुंचन थायछे. चरम समयमा फक्त मुंचनज थाय छे. ग्रहण स्वतंत्रछे अने निसर्जनछे ते ग्रहण विना यतुं नथी माटे परतंत्रछे. २२३ वागद्रव्य ग्रहण तथा ग्रहण करेलानो निसर्ग तथा भाषा ए .. त्रण पण जघन्यथी एक समयमां थायछे. ए प्रत्येक त्रणनो - उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्तनो जाणवो. २२४ एक समयमां बहु क्रियाओ थइ शके.छे. औदारिक, वैक्रिय, आहारक, त्रग कायाधी वागद्रव्य प्राण जाणवू. तथा ते गथी वागद्रव्यतुं निसर्जन जाणवू. २२५ महा प्रयत्नवालाने वाकद्रव्य ग्रहण निसर्जनमा अन्तर्मुह थाय छे, अल्प प्रयत्नवाळाने अन्तर्मुहूर्ततुं प्रमाण नथी.
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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