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________________ 4. कालपी पक्षांतभिम पक्ष देखे तो छतो क्षेत्रथकी पचीशयोजनने अवधिज्ञानी देखें (वि) ५८७ क्षेत्रथी भरतक्षेत्र देखतां छतां कालयकी अधमास अवधिज्ञानी देखे. जंबुद्वीप विषयमा साधिक मास जाणवो. मनुष्यलोकमां वर्ष रुचकाख्य बाह्यद्वीपविषयमां अवधिज्ञाननो काल बे वर्षयी नववर्षनो जाणवो. अन्यो तो हजार वर्ष कहेछे. क्षेत्रगत अने कालगतरूपि द्रव्यने अवधिज्ञानी देखे. मंचाः क्रोशंति इत्यादि न्यायनी पेठे उपचारथी क्षेत्रकालने जाणेछे देखेछे एम जाणवू नतु साक्षात गाथा. काले चउण्हवुट्ठी, कालो भइयव्वो खेत्तबुढिए; बुढीए दब्ब पन्जव, भइअव्वा खेत्तकाला ॥ अवधिगोचर काल वृद्धि थए छते क्षेत्रादिनी वृद्धि चारनी रद्धि कालश्री क्षेत्र सूक्ष्मछे. क्षेत्रथी द्रव्यमूक्ष्म. द्रव्यथी भाव सूक्ष्मछे. ५८९ अवधिज्ञानना कालनो समय वृद्धि पामतां क्षेत्रना अभूतपदेशो वृद्धि पामेछे. क्षेत्रनी वृद्धि थतां भाव (पर्याय ) नी वृद्धि थायछेज.
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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