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________________ भारतीय संवतों का इतिहास नाम सेल्यूकस के नाम पर सेल्यूसीडियन सम्वत् रखा। सैल्यूसीडियन सम्वत् का प्रचलन क्षेत्र बैक्ट्रिया तथा हिन्दुस्तान के काबुल व पंजाब प्रदेश माने जाते हैं । "सेल्यूकस के राज्य पाने के समय अर्थात् १ अक्टूबर ईस्वी सम्वत् पूर्वं ३१२ से उसका सम्वत् चला जो बाकट्रिआ में भी प्रचलित हुआ । हिन्दुस्तान के काबुल तथा पंजाब आदि हिस्सों पर बाकट्रिआ के ग्रीकों का आधिपत्य होने के बाद उक्त सम्वत् का प्रचार भारत के उन हिस्सों में कुछ-कुछ हुआ हो, सम्भव है।" ८४ सैल्यूकस के राज्य पाने के समय से सैल्यूसीडियन सम्वत् का आरम्भ माना जाता है अर्थात् ३१२ ईस्वी पूर्व । इसका वर्तमान प्रचलित वर्ष २३४३ है जो ई० १६८९ के समान है । यह सम्वत् शताब्दियों पहले प्रचलन से निकल गया है और अब इसकी गणना पद्धति व वर्ष की लम्बाई का ठीक पता नहीं है । अत: इसके वर्तमान प्रचलित वर्ष के सम्बन्ध में भारद्वाज पंचाग का साक्ष्य कहां तक प्रमाणिक है, कहा नहीं जा सकता। पंचांग में मात्र वर्तमान प्रचलित वर्ष दिया गया है, इसके स्रोतों का उल्लेख नहीं है । साथ ही इस पंचांग में सम्वत् के लिए सिकन्दरी नाम का प्रयोग हुआ है जबकि त्रिवेदी व कनिंघम सैल्यूसीडियन नाम का उल्लेख करते हैं । यह स्पष्ट नहीं है कि संल्यूसीडियन सम्वत् ही है अथवा कोई और संल्यूसीडियन सम्वत् के आरम्भकर्त्ता के रूप में दो नाम लिये जाते हैं : प्रथम गुप्त वंशी नरेश समुद्र गुप्त ( त्रिवेद) तथा दूसरा सैल्यूकस ( कनिंघम ), इस सम्वत् के सम्बन्ध में कनिंघम का मत ही अधिक माननीय है । त्रिवेद के अनुसार सेल्यूकस चन्द्रगुप्त मौर्य का नहीं वरन् समुन्द्र गुप्त को समकालीन था । समुद्र गुप्त ने सेल्यूकस को ३०५ ई० पूर्व में परास्त कर उसकी पुत्री हेलेना से विवाह किया तथा सैल्यूसीडियन सम्वत् का आरम्भ किया। डा० त्रिवेद गुप्त वंश का शासन भी ३२० ई० पूर्व में मानते हैं, इसी आधार पर समुद्र गुप्त को संल्यूकस का समकालीन माना है व इसी आधार पर समुद्र गुप्त को संल्यूसीडियन सम्वत् का आरम्भकर्ता बताया है परन्तु डा० त्रिवेद के मत का विद्वान् खण्डन करते. हैं तथा सैल्यूसीडियन सम्वत का आरम्भकर्ता सैल्यूकस निकाटार को मानते ९. राय बहादुर पंडित गौरी शंकर हीरा चन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर, १९१३, पृ० १६५ । २. "शुद्ध भारद्वाज पंचांग", मेरठ, १६८६ - ६०, पृ० १ । ३. डी० एस० त्रिवेद, "इण्डियन कोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० २७ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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