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________________ ८२ भारतीय संवतों का इतिहास राजनैतिक घटनाओं का उल्लेख कोटिल्य के अर्थशास्त्र से मिलता है । यदि चन्द्र गुप्त किसी नये सम्वत् की स्थापना करता तब कौटिल्य उसका उल्लेख भी अवश्य करता। मौर्य वंश का दूसरा शक्तिशाली शासक अशोक रहा, उसके द्वारा भी सम्वत् की स्थापना की जा सकती है, लेकिन अशोक का दर्शन जो बौद्ध धर्म से प्रभावित था, "वसुधैव कुटुम्बकम्" की नीति को मानता था अतः अशोक से यह आशा करना कि उसने स्वयं अपनी या अपने वंश की विशिष्टता प्रदर्शित करने के लिए किसी नये सम्वत् की स्थापना की होगी, उचित नहीं। चन्द्र गुप्त व अशोक के बीच का एक शासक और रहता है, बिन्दुसार । इसके शासन काल में भी साम्राज्य शक्तिशाली बना रहा था सम्भव है इसके द्वारा ही मौर्य सम्वत् की स्थापना हुयी हो और उसके आरम्भ का समय चन्द्र गुप्त मौर्य के समय से माना गया हो, जैसाकि हर्ष, गुप्त आदि दूसरे सम्वतों के सम्बन्ध में भी रहा है। परन्तु यदि बिन्दुसार द्वारा मौर्य सम्वत् की स्थापना की गयी मान लिया जाये तब यह समस्या सामने आती है कि स्वयं बिन्दुसार उसके उत्तराधिकारी अशोक तथा अन्य बाद के मौर्य शासकों द्वारा मौर्य सम्वत् का अभिलेखों में अंकन न किये जाने का क्या कारण है ? यह स्वाभाविक सी बात है कि यदि किसी वंश के संस्थापकों द्वारा नया सम्वत् चलाया जाये तो उस वंश के शासक उसका प्रयोग अपने अभिलेखों तथा अन्य लेखों में करें, समकालीन साहित्य में भी सम्वत् का उल्लेख हो, परन्तु मौर्य सम्वत् का प्रयोग किसी मौर्यवंशी शासक द्वारा नहीं हुआ है। स्वयं बिन्दुसार द्वारा भी नहीं और उत्तराधिकारी अशोक द्वारा भी सम्वत् का प्रयोग नहीं हुआ है, यद्यपि अशोक ने बड़ी संख्या में अभिलेख उत्कीर्ण कराये। मौर्य सम्वत् के सम्बन्ध में यह इससे भी बड़ी विसंगति है कि कलिंग राज्य को मौर्य शक्ति से मुक्त कराने वाले शासक खाखेल द्वारा सम्वत् का प्रयोग अपने अभिलेख में हुआ है जो उचित नहीं लगता। इसका कारण है कि कोई भी शासक जिस सत्ता से मुक्ति पाता है व स्वतंत्र राज्य की स्थापना करता है वह स्वयं को आधीन रखने वाले के चिन्हों का भी प्रयोग करना पसन्द नहीं करता। फिर विशेषकर हाथीगुम्फा जैसे अभिलेख में जिसमें खाखेल अपनी शक्ति प्रदर्शन व विजय का उल्लेख करता है, खाखेल द्वारा मौर्य सम्वत् का प्रयोग अनुचित ही लगता है। "हाथीगुम्फा अभिलेख मौर्य सम्वत् १६५ का है। इस लेख के आधार पर दो तथ्य दीख पड़ते हैं जिसके आधार पर हाथीगुम्फा अभिलेख पर अंकित सम्वत् १. सत्यकेतु विद्यालंकार, “मौर्य साम्राज्य का इतिहास" नई दिल्ली, १९८६, पृ० ६७६ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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