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________________ धर्म चरित्रों से सम्बन्धित सम्वत् ६७ दिया। इसके बाद भी ईसाई सम्वत के पंचांग में अनेक परिवर्तन किये गये । जूलियस सीजर ने अधिक मास का झगड़ा मिटाकर ३६५, १/४ दिन का वर्ष नियत कर दिया तथा जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, सितम्बर और नवम्बर महीने तो ३१-३१ दिन के, बाकी के (फरवरी को छोड़कर) ३०-३० दिन के तथा फरवरी २६ दिन का, परन्तु प्रति चौथे वर्ष ३० दिन का स्थिर किया। जुलियस् सीजर के पश्चात् ऑगस्टस् ने, जो रोम का पहला बादशाह हुआ, सेक्सटाइलिस मास का नाम अपने नाम से ऑगस्ट रखा और उसको ३१ दिन का, फरवरी को २८ दिन का, सितम्बर और नवम्बर को ३०-३० दिन का और दिसम्बर को ३१ दिन का बनाया। लेकिन जुलिअस सीजर का स्थिर किया हुआ ३६५, १/४ दिन का सौर वर्ष वास्तविक सौर वर्ष से ११ मिनट और १४ सकेंड बड़ा था, जिससे करीब १२८ वर्ष में एक दिन का अन्तर पड़ने लगा। इस अन्तर के बढ़ते-बढ़ते ईस्वी सन् ३२५ में मेष का सूर्य, जो जुलियस सीजर के समय २५ मार्च को आया था, २१ मार्च को आ गया और ईस्वी सन् १५८२ में ११ मार्च को आ गया। इस भूल का सुधार पोप ग्रेगरी १३वें ने किया। उसने आज्ञा दी कि : "इस वर्ष १५८२ के अक्टूबर मास की चौथी तारीख १५ अक्टूबर मानी जाये, इससे लोकिक सौर वर्ष वास्तविक सौर वर्ष से मिल गया। फिर आगे के लिए ४०० वर्ष में तीन दिन का अन्तर पड़ता देखकर उसको मिटाने के लिए पूरी शताब्दी के वर्षों (१६००, १७०० आदि) में से जिसमें ४०० का भाग पूरा लग जावे, उन्हीं में फरवरी के २६ दिन मानने की व्यवस्था की।" पोप द्वारा किया गया यह सुधार रोमन कैथोलिक अनुयायियों ने तो स्वीकार कर लिया, लेकिन प्रोटेस्टेंट वालों ने आरम्भ में इसका विरोध किया अर्थात् पोप द्वारा निर्दिष्ट ५ अक्टूबर के स्थान पर १५ अक्टूबर को इटली, स्पेन, पुर्तगाल आदि में तो स्वीकार कर लिया गया लेकिन इंग्लैण्ड में यह सुधार १७५२ में हुआ। इस समय तक एक दिन और बढ़ चुका था अतः "२ सितम्बर के बाद की तारीख ३ को १४ सितम्बर मानना पड़ा।"२ “जर्मन वालों ने ईस्वी सन १६६६ के अन्त के १० दिन छोड़कर १७०० के प्रारम्भ से इस गणना का अनुकरण किया।"3 "रूस, ग्रीस आदि ग्रीक चर्च सम्प्रदाय के अनुयायी देशों में केवल अभी-अभी इस शैली का अनुकरण हुआ है। उनके यहां के दस्तावेज १. गौरी शंकर ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर, १६१८, पृ० १६५। २. वही। ३. वही।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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