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________________ ५४ भारतीय संवतों का इतिहास सप्तर्षि चक्र पर आधारित है इसकी पद्धति का उल्लेख अध्याय प्रथम में "सप्तर्षि चक्र" नामक शीर्षक से किया जा चुका है । ___ लोक काल वास्तव में पूर्व प्रचलित सप्तर्षि काल का ही नया नाम था। लोक काल सम्वत् के आरम्भ की तिथि ७२४ ई० पूर्व दी गयी है। इस प्रकार लोक काल सम्वत् का वर्तमान प्रचलित वर्ष ७२४+१९८६=२७१३ : २७०० =१ पूर्ण व १३ शेष, अर्थात् एक चक्र पूर्ण होकर दूसरे का १३-१४ वर्ष चालू है। यह वर्तमान वर्ष अनुमानित है। सप्तर्षि सम्वत् का प्रयोग अभिलेखों के लिए भी हुआ है । "११वीं शताब्दी में हमें ऐसे लेख मिलते हैं जिन पर सर्वमान्य सम्वत् में तिथियां लिखी हैं । यह लोक काल या लोकप्रिय सम्वत है। इसे सप्तर्षि काल जिसे कल्हण ने राजतरंगणी में प्रयोग किया है, कहते हैं। चम्बा लेख में इस सम्वत् के वर्षों को शास्त्र या शास्त्रीय संवत्सर कहा गया है, कभीकभी सिर्फ सम्वत् भी लिखा मिलता है। मथुरा से पाये जाने वाले कुषाण राजाओं के लेखों में पाये जाने वाले सम्वत् जिसकी तिथियां सदैव सौ से कम रहती हैं, को भी कुछ लोग सप्तर्षि सम्वत् ही मानते हैं। परन्तु, कतिपय मत इसको कनिष्क द्वारा चलाये गये किसी सम्वत की तिथि मानने के पक्ष में भी हैं । अतः इस संदर्भ में मतभिन्नता है, स्पष्ट निष्कर्ष नहीं है। जो भी हो यदा कदा अभिलेखों में इस सम्बत का अंकन हुआ है । कल्हण द्वारा इस सम्वत् का प्रयोग तो निश्चित ही है, अतः इसकी साहित्यिक व ऐतिहासिक उपयोगिता है। इसे काश्मीर के पंचांगों में भी प्रयोग किया गया है । इस सम्वत् की आरम्भ तिथि के सम्बन्ध में ही उल्लेख मिलते हैं, आरम्भकर्ता के रूप में किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं आता, अर्थात् यह परम्परागत रूप में सप्तर्षि चक्र को नया नाम दे देने के कारण ही नये रूप में जाना जाने लगा, किसी विशिष्ट घटना पर व्यक्ति विशेष ने इसकी स्थापना नहीं की। संक्षेप में लोक काल सम्वत् को इस प्रकार समझा जा सकता है कि पूर्व प्रचलित सप्तर्षि चक्र जिसका आरम्भ ३१७६ ई० पूर्व के लगभग हुआ ७२४-२५ ई० पूर्व में लोक काल के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा। भारत के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में इसका प्रयोग किया गया, लोक काल का विशेष महत्त्व काश्मीर इतिहास में है। १. "रिपोर्ट ऑफ द कलण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ । २. जे० वोगल, “एन्टीक्वेटीज ऑफ चम्बा स्टेट", कलकत्ता, १९११, पृ. ६६ ॥
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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