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________________ ५० भारतीय संवतों का इतिहास है।' इस प्रकार "कुरुक्षेत्र युद्ध के पूर्व के वर्ष" तथा "कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद के वर्ष" की भी गणना की जाती है। एस० बी० राय ने अपनी पुस्तक में भी इसी की पुष्टि की है। कलि सम्वत् रूप से खगोलशास्त्रीय कार्यों के लिए विकसित किया गया। इसका आरम्भिक समय भी खगोलशास्त्रीय दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है तथा बाद में भी खगोलशास्त्रियों ने इसकी इकाई पद्धति तथा वर्ष आदि का प्रयोग खगोलशास्त्रीय गणनाओं के लिये किया । "इसके वर्ष चैत्रादि चन्द्र सौर्य तथा मासादि सौर्य दोनों हैं। इसका प्रयोग खगोलशास्त्रीय तथा पंचांग निर्माण दोनों कार्य में हुआ है । बाद में कभी इसका "गुजरा वर्ष" तथा कभी चालू वर्ष दिया गया व कभी दोनों साथ-साथ दिये गये । इसका प्रयोग बहुधा शिलालेखीय कार्यों के लिए नहीं हुआ है।"४ यह बात सही है कि कलियुग सम्बत् का प्रयोग शिलालेखीय कार्यों के लिए नगण्य ही है तथा यह ज्योतिषियों व खगोलशास्त्रियों का ही सम्वत् रहा। फिर भी यदा-कदा अभिलेखों में इसका परिचय मिल जाता है । उदाहरण के लिए : "चम्बा के अभिलेखों में तिथियों को तीन भिन्न प्रकार से दर्शाया गया है शास्त्र सम्वत्, कलियुग सम्वत् तथा राज्यपाल के राज्य वर्ष में । कलियुग का प्रयोग कुछ विशेष रुचि का है क्योंकि इसका प्रयोग कुछ पुरा लेखों में मुश्किल से ही किया जाता है । वास्तविक वर्ष ४२७० लिखा गया है तथा बाकी वर्ष भी लिखे गये हैं। यदि दोनों संख्याओं को जोड़े तब ४३००० आयेगी। यह संख्या पाप के युग को प्रदर्शित करती है । कलि ४२७२, ११६८-६६ ई० के समकक्ष है ।"५ एस० पिल्लयी ने भी कलि सम्वत् आरम्भ की ३१०२ ई० पूर्व की तिथि का समर्थन किया है तथा सम्पूर्ण भारत में इसके प्रचलन को सौर्य मासादि तथा चन्द्र सौर्य चैत्रादि के रूप में माना है। आर्य १. डा० देव सहाय त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० १३ । २. एस० बी० राय, "डेट ऑफ महाभारत बैटल", नई दिल्ली, १९७६, पृ० १००। ३. एस० बी० राय, “एन शियेंट इण्डिया : ए क्रोनोलोजिकल स्टैडी', दिल्ली, १६७५, पृ० १०। ४. रोबर्ट सीवैल, "द इण्डियन कलण्डर", लन्दन, १८६६, पृ० ४०-४१ । ५. जे० वोगल, "एन्टिक्वेटीज ऑफ चम्बा स्टेट", कलकत्ता, १६११, पृ०७६ । ६. एल० डी० स्वामी पिल्लई, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", मद्रास, १६११, पृ. ४३ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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