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________________ भारत में सम्बतों की अधिक संख्या की उत्पत्ति के कारण... २१५ १९८६ को उत्तर प्रदेश सरकार व कर्मचारियों के बीच खले टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी।" सूचना का यह रूप सही है। क्योंकि भविष्य में जब कभी हम इस घटना को अंकित करेंगे तब सबसे पहला सवाल यही होगा कि कितने समय पहले की यह घटना है। यदि उसमें तिथि नहीं है तब समय बता पाना संभव नहीं । अतः प्रतिदिन के व्यवहार में संवत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, मनुष्यों को अनेक लेखे-जोखे व धार्मिक-सामाजिक कार्यों को निबटाने में सहायता करता है। जैसे ही इतिहास लेखन कला का आरम्भ हुआ होगा, घटनाओं को व्यवस्थित करने व ऋमिक रूप में उन्हें लिखने के लिए विचारकों ने एक संवत की आवश्यकता महसूस की होगी। जब किसी वंश या घटना का वर्णन किया जाता है तब यह समझना आवश्यक हो जाता है कि अमुक घटना किस घटना से पहले या बाद में घटी, अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं से उसका कितना समयान्तर है, वर्तमान समय में जब हम अध्ययन कर रहे हैं से कितने समय पहले की यह घटना है और इस सबका अध्ययन संवत के बगैर असम्भव है। यदि कहा जाए कि तिथियों का क्रमबद्ध अध्ययन करना व काल निर्धारण का ही नाम इतिहास लेखन है तो अतिश्योक्ति न होगी। इतिहास में तिथिक्रम की आवश्यकता, वंशक्रम तथा घटनाक्रम दोनों के लिए समान रूप से है। इतिहास लेखन व संवत एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों का सम्बन्ध अन्योन्याश्रित है। किसी भी राष्ट्र, जाति अथवा वंश का इतिहास लिखने के लिए एक सर्वमान्य तथा वैज्ञानिक रूप से निश्चित किए हुए संवत का होना अनिवार्य है। तिथिक्रम के अभाव में लिखा गया इतिहास, इतिहास नहीं वरन कथा मात्र रह जाता है । इससे न तो घटनाओं के समयान्तर को समझा जा सकता है और न ही इस प्रकार का लेखन इतिहास लेखन के उद्देश्यों को पूरा कर पाता है । अर्थात मानव विकास के क्रमिक अध्ययन की जानकारी भी तिथिरहित इतिहास से नहीं मिल पाती है। इसके साथ ही इतिहास लेखन के अभाव में संवत का अस्तित्व भी असम्भव है। क्योंकि जब मनुष्यों में अपने अतीत को क्रमबद्ध रूप में समझने की जिज्ञासा अर्थात् इतिहास लेखन की प्रवृत्ति नहीं होगी तब संवत् अर्थात तिथि क्रम के विकास की आवश्यकता भी नहीं रहेगी। भारतीय शासकों द्वारा पूर्व प्रचलित संवतों को ग्रहण न करने तथा अपनीअपनी प्रतिष्ठा में नये-नये संवत् प्रचलित करने की प्रवृत्ति ने भारतीय इतिहास लेखन को एक अजीब उलझन में डाल दिया। विभिन्न क्षेत्रीय घटनाओं के लिए मात्र क्षेत्रीय तिथि अंकित होने से राष्ट्र के दूसरे क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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