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________________ २०८ भारतीय संवतों का इतिहास त्यौहारों को मौसम के अनुकूल रखने के लिए राष्ट्रीय पंचांग में "स्टैण्डर्ड मीन टाइम" को रखा गया है, जिसमें प्रत्येक माह में ३० डिग्री का अन्तर होगा। अधिकांश पंचांग निर्माता इसका प्रयोग करते हैं। "इस पंचांग का यावत गणित उस भारतीय मध्य रेखा बिन्दु के लिए किया गया है, जो ग्रीनविच से पूर्व रेखांश ८२°३०' एवं उत्तर अक्षांश २३°११' (उज्जयिनी के अक्षांश) पर स्थित है एवं इस पंचांग में सर्वत्र तिथ्यादि के समय भारतीय मानक समय (इण्डियन स्टैण्डर्ड टाइम) के अनुसार दिये गये हैं, जो कि उक्त भारतीय मध्यरेखा बिन्दु का स्थानिक मध्यम काल होता है ।' १ “अनेक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों को वैसा ही रहने दिया गया है । बुद्ध, जैन, हिन्दू, सिख आदि के त्योहार को नये पंचांग में ग्रहण किया गया है तथा उनकी महत्वपूर्ण तिथियों को वैसा ही रखने का प्रयास हुआ है। पंचांग की विभिन्नता को मिटाने के लिए प्रचलित तिथियों को सूर्य सिद्धान्त में बदला गया तथा पूरे भारत के लिए समान तिथियां दी गयीं ।"२ भारत वर्ष की धार्मिक, क्षेत्रीय व जातीय भिन्नताओं को समझते हुए भारतीय राष्ट्रीय पंचांग को अधिकाधिक उनके अनुकूल बनाने का प्रयास किया गया। भारत में आरम्भ में चन्द्र सौर्य पंचांग ग्रहण किया गया । १२०० ई० पूर्व आर्यों का अपना चन्द्र सौर्य पंचांग था, जिसमें "मल मास" अथवा लोंद के माह की व्यवस्था की, लेकिन इस सम्बन्ध में स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलते कि लौंद के माह किस प्रकार आते थे। यह सम्भावना व्यक्त की जाती है कि वेदांग ज्योतिष या पंचांग पश्चिमी प्रभाव से पूर्णत: मुक्त थे । ४०० ई० से १२०० ई० तक लगभग पूरे भारत में प्रयुक्त होने वाले पंचांग सिद्धान्त ज्योतिष पर आधारित थे। सारे भारतीय खगोल शास्त्री सही गणना के लिए शक संवत् का प्रयोग करते थे, लेकिन तिथि अंकन के लिए इसका प्रयोग दक्षिण में अधिक था। सामान्यतः विभिन्न वंश अपने संवतों का प्रयोग करते थे, उनके अपने शासकीय वर्ष होते थे। १२०० ई० में इस्लाम के आगमन के साथ चन्द्रीय पंचांग भारत आया। भारतीय कलेण्डर का प्रयोग मात्र धार्मिक कार्यों के लिए ही रह १. "राष्ट्रीय पंचांग", डाइरेक्टर जनरल ऑफ मीटियोरोलॉजी, दिल्ली, १९८५, प० ५.६ । २. "रिपोर्ट ऑफ द कलण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, भूमिका ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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