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________________ भारत में सम्वतों की अधिक संख्या की उत्पत्ति के कारण परन्तु तीन दशक बीत जाने पर भी यह राष्ट्रीय महत्व प्राप्त नहीं कर पाया, अन्य दूसरे राष्ट्रीय चिन्हों, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गीत के समान राष्ट्रीयता की भावना इस संवत् के साथ नहीं जुड़ पायी है (इसके कारणों का उल्लेख आगे वर्तमान राष्ट्रीय पंचांग की आलोचना के संदर्भ में किया जायेगा ) | १९७ यद्यपि अपने आरम्भ के डेढ़ सहस्त्राब्द ईसाई संवत् का परिचय भारतीय इतिहास से हुआ, किन्तु भारत में पूर्व प्रचलित संवतों से अधिक इसका प्रयोग प्रशासनिक, दैनिक व्यवहार तथा इतिहास लेखन के लिए हुआ है । फिर यह भी विचारणीय विषय है कि ईसाई संवत् को ही भारतीय राष्ट्रीय पंचांग के रूप में ग्रहण कर लिया जाए किन्तु इस संदर्भ में सबसे पहली समस्या तो यही है कि इसकी पद्धति को भी अनेक भारतीय संवतों की पद्धति के समान शोधन की आवश्यकता है । दूसरी बात यह है कि भारत में इसे विदेशी आक्रान्नामों व शासकों द्वारा आरोपित किया गया है । अतः इसके साथ राष्ट्रीय गौरव व राष्ट्र हित की भावना नहीं जोड़ी जा सकती, जबकि किसी भी तथ्य को राष्ट्रीय बनाने के लिए यह आवश्यक है । लगभग चार शताब्दियों से यह भारत में प्रचलित है किन्तु भारतीय जनता अभी तक इसे धार्मिक कार्यों के लिए नहीं अपना पायी है । अत: यह राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने में समर्थ नहीं है । इस्लाम गणना पद्धति पर आधारित हिज्रा संवत् भी भारत में वर्तमान समय में प्रचलित है तथा कई शताब्दियों तक भारत के प्रशासनिक कार्यों में भी प्रयुक्त हुआ है। इसको यदि भारतीय राष्ट्रीय संवत् के रूप में परखा जाए तो इसकी कुछ कमियां इस प्रकार दीख पड़ती हैं : प्रथम तो यह धर्म प्रचारक मोहम्मद की जीवन घटना से सम्बन्धित है, अतः जो समस्या दूसरे सम्प्रदायों द्वारा संवत् को ग्रहण न कर पाना अन्य सम्प्रदायों के संवतों के साथ है, वही इसमें भी है । दूसरा इसके वर्ष की लम्बाई चन्द्रीय चक्र पर आधारित है तथा किसी भी समयान्तर पर इसको सौर वर्ष के बराबर लाने का प्रयास नहीं है जबकि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष की लम्बाई सौर मान पर है जिससे विश्व के अनेक सौर पंचांगों से इसका वर्षं व शताब्दी निरन्तर छोटे रहते जा रहे हैं । इसमें ऋतुओं व महीनों का सामंजस्य नहीं है । प्रति वर्ष ऋतुओं के महीनों के नाम बदल जाते हैं । साथ ही भारत -की बहुसंख्यक जनता के लिए यह विदेशी है अतः इसे राष्ट्रीय संवत् नहीं माना I जा सकता ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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