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________________ भारतीय संवतों का इतिहास बुद्ध निर्वाण सम्वत् एक ऐसा सम्वत् है जिसका आरम्भ भारत में हुआ, लेकिन विदेशों में अब इसका प्रचलन अधिक है । ५४४ ई० पूर्व में भारत में आरम्भ हुए बुद्ध निर्वाण सम्वत् का प्रयोग आज भी लंका आदि द्वीपों तथा भारत के निकटवर्ती देशों में फैले बौद्ध धर्मावलम्बियों द्वारा किया जाता है । १८६ महावीर निर्वाण सम्वत का प्रयोग जैन धर्मावलम्बियों द्वारा धार्मिक कृत्यों के लिए किया जाता है । ५२७ ई० पूर्व में बारम्भ होने वाला महावीर निर्वाण सम्वत . जैन वर्ग तक ही सीमित है । "महावीर निर्वाण सम्वत् का वर्तमान प्रचलित वर्ष २५१६ है । जिसका आरम्भ कार्तिक ८ या ३० अक्टूवर सन् १९८६ ई० से हुआ है।"" भारत में वर्तमान समय में प्रचलित संवतों में विक्रम संवत् ऐसा है जिसे पूर्णतया भारतीय कहा जा सकता है । जिसका प्रयोग विभिन्न समयों पर प्रशासनिक तथा राजकीय कार्यों के लिये किया गया और हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों में अपने जन्म से आज तक अबाध रूप से प्रयुक्त हो रहा है । ५७ ई० पूर्व में आरंभ होने वाला विक्रम संवत् केवल श्री संवत् नाम से ही लिखा जाता है । सम्पूर्ण उत्तरी भारत में पंचांग निर्माण, व्रत-त्यौहारों के निर्धारण तथा विवाह आदि शुभ अवसरों की तिथियां निश्चित करने के लिए विक्रम संवत् का प्रयोग किया जाता है । अपनी उत्पत्ति के आरंभ में कृत, फिर मालव तथा इसके बाद विक्रम संवत् आदि नामों का प्रयोग इसके लिए किया गया । ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह संवत महत्वपूर्ण है । वर्तमान समय में इसके लिए दो प्रकार की गणना पद्धति का प्रयोग किया जाता है । चत्रादि गणना तथा कार्तिकादि गणना | चैत्रादि गणना में वर्ष का आरंभ चैत्र से होता है जिसका प्रचलन उत्तरी भारत में है तथा कार्तिकादि गणना में वर्ष का आरंभ कार्तिक से होता है जिसका प्रचलन दक्षिणी भारत में है । "विक्रम संवत् २०४६ का प्रारंभ चैत्र १६ (६ अप्रैल सन् १९८६ ई०) कार्तिक ८ (३० अक्टूबर सन् १९८६ ई० ) । ' २ ईसाई संवत् विदेशी होते हुए भी शताब्दियों से भारत में निरन्तर प्रयुक्त हो रहा है तथा इसका भारतीय इतिहास लेखन के लिए उपयोग हुआ है । अब अनेक भारतीय सम्प्रदायों द्वारा दैनिक व्यवहार व धार्मिक संवतों के पंचांगों में तिथि अंकन के लिए प्रयोग हो रहा है तथा इसकी लोकप्रियता निरन्तर १. भारत सरकार, "राष्ट्रीय पंचांग", दिल्ली, १६८६ । २ . वही, भूमिका ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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