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________________ १७० भारतीय संवतों का इतिहास में उल्लेख नहीं हुआ है । (१) नन्द राज्याब्द (२) चन्द्रगुप्त राज्याब्द तथा (३) शुद्रक देव राज्याब्द । नन्द राज्याब्द की तिथि ५७६ ई० में, ग्रन्थ रचना के समय ८०० दी गयी है अर्थात ८००-५७६ =२२४ ई० पूर्व नन्द राज्याब्द का आरंभ माना जा सकता है । इस संवत का संबंध यदि महापद्मनन्द के समय से जोड़ा जाये तब इसके आरंभ का समय ३५० ई० पूर्व के लगभग आना चाहिए । २२४ ई० पूर्व नहीं । डी०एस० त्रिवेद भवदास कृत संवत का आरंभ महापद्मनन्द के समय से मानते हैं । "भवदास कृत संवत का कलियुग संवत १४६५, ई० पूर्व १६३६ में आरंभ हुआ इसका आरंभ महापद्मनन्द के समय से होता है तथा वाररुचि, पाणिनी व कात्यायन से इसका उल्लेख मिलता है।" उपरोक्त उल्लिखित दोनों साक्ष्यों में महापद्मनन्द के समय में १६३६२२४=१४१२ वर्षों का अन्तर है। इन दोनों साक्ष्यों में उल्लिखित संवतों के साथ नन्द का नाम आया है । इसी आधार पर इसको महापद्मनन्द से ही संबं. धित माना जा सकता है । इस समयान्तर का कारण डा० त्रिवेद द्वारा भारतीय इतिहास के संबंध में दी गयी नवीन विचारधारायें व तिथियां हैं । डा० त्रिवेद ने नन्दवंश का शासन काल १६३६ से १५३६ ई० पूर्व निश्चित किया है। इसी आधार पर महापद्मनन्द के संवत् का आरंभ १६३६ ई० पूर्व दिया है, जबकि दूसरे विद्वान् रमेश चन्द्र मजूमदार, हरिशंकर कोटियाल, रमाशंकर त्रिपाठी आदि अनेक आधुनिक विद्वान् नन्द वंश का शासनकाल ३५० ई० पूर्व के लगभग मानते हैं। इन तथ्यों के आधार पर नन्द संवत् की स्थापना ३५० ई० पूर्व के लगभग होनी चाहिए। १. डी. एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० १८ । २. "नन्द वंश का अन्त ३२२ ई० पूर्व में चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया।" रमेश चन्द मजूमदार, "प्राचीन भारत", दिल्ली पुनर्मुद्रण, १६८६, (१९६२), पृ० ८३ । ३. हरिशंकर कोटियाल, 'मौर्यकाल', "प्राचीन भारत का इतिहास", झा एवं __ श्रीमाली (सम्पादक) दिल्ली, १९८४ (१९८१), पृ० १७४ । ४. "३४३ ई० पूर्व से ३२१ ई० पूर्व में नन्द वंश का शासन काल रहा।" रमाशंकर त्रिपाठी, "प्राचीन भारत का इतिहास", दिल्ली, १९८५, पृ० १०८।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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