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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् इलाही संवत् भारतीय संवतों की श्रेणी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है । यद्यपि इसकी समाप्ति शीघ्र ही हो गयी फिर भी उस समय की आवश्यकतानुसार इस के अन्तर्गत पंचांग का जो सौर पद्धति पर आधारित स्वरूप निर्धारित किया गया वह महत्वपूर्ण था जो कि पूर्व प्रचलित चन्द्रीय गणना से अधिक सुविधाजनक था। जुलूसी सम्वत् ___ इस संवत का प्रचलन भी मुगल बादशाह अकबर द्वारा किया गया । संवत् का नाम जुलूसी क्यों पड़ा, यह अज्ञात है । संभवत: अन्य दूसरे संवतों के समान ही इसका नाम भी इसके आरम्भकर्ता जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के नाम से संबंधित हो । अकबर ने इलाही सम्वत , फसली व जुलूसी तीन सम्वतों का आरंभ किया। इसमें इलाही तो दीन इलाही धर्म के नाम पर इलाही संवत् कहलाया, दूसरा फसल का लगान वसूलने तथा कृषि संबंधी कार्यों से संबंधित था अतः फसली कहलाया। इन दोनों ही के साथ अकबर के नाम का कोई संबंध नहीं था। इस परिस्थिति में हो सकता है अपने नाम से संबंधित एक संवत चलाने की इच्छा अकबर की रही हो तथा इस सन्दर्भ में जुलसी संवत चलाया गया हो, क्योंकि भारतीय इतिहास में यह परम्परा सी बन गयी थी कि जो भी शासक अपने साम्राज्य को सुदृढ़ व सुव्यवस्थित महसूस करता था वह अपनी शक्ति-प्रदर्शन के लिए अपने नाम अथवा अपने वंश के नाम पर एक नये संवत् का आरंभ करता था। अत: यह संभावना है कि अकबर द्वारा अपनी शक्ति प्रदर्शन के उद्देश्य से अपने नाम से जुड़े इस जुलूसी संवत् का आरंभ किया गया हो। जुलसी संवत् का प्रचलन क्षेत्र भी अकबर का शासन क्षेत्र ही माना जा सकता है तथा अकबर के शासकीय कार्यों में इसका प्रयोग किया गया होगा। इससे बाहर नहीं : इस संबंध में यही अनुमान किया जा सकता है क्योंकि जुलसी संवत् के प्रचलन क्षेत्र के संबंध में कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इस संवत् का आरंभकर्ता अकबर था। इस संबंध में कपिल भट्ट का कथन है : "अकवर ने जुल सी नामक एक अजीब संवत् चलाया। यह संवत शासन का एक वर्ष समाप्त करके मनाया जाता था । यह आवश्यक नहीं था कि राजगद्दी पर बैठक की तिथि से ही जुलसी संवत प्रारंभ हो।"१ १. कपिल भट्ट, "कादम्बनी" (हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकाशन) दिल्ली, अप्रैल, १९८६, पृ० ८७-८८ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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