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________________ १६४ भारतीय संवतों का इतिहास इसकी गणना तिथि १५५६ ई० है जो कि अकबर के सिंहासनारोहण की तिथि भी मानी गयी। ___ यह बात अनेक संवतों में सामान्य रूप से पायी जाती है । अनेक भारतीय संवत् कलि, युधिष्ठिर, मौर्य, गुप्त आदि तथा ईसाई संवत् का आरंभ भी उस तिथि से काफी बाद में किया गया जब से कि उनकी गणना की तिथि मानी जाती है । ईसाई संवत् में तो यह समयान्तर १००० वर्षों का समझा जाता है । डा० त्रिवेद' का मत है कि ईसाई संवत् की १००० वर्ष बीतने पर उस संवत् की गणना आरंभ की गयी। इलाही संवत् अब प्रचलन में नहीं है। न ही पंचांगों में इसका उल्लेख मिलता है। अत: इसके वर्तमान प्रचलित वर्ष को निश्चित रूप से बाता पाना संभव नहीं । हम केवल इस आधार पर कि यह सौर पद्धति पर आधारित संवत् था इसके वर्तमान प्रचलित वर्ष के संबंध में अनुमान लगा सकते हैं । सौर गणना में वर्ष में दिनों की संख्या ३६५ रहती है तथा प्रत्येक चौथा वर्ष ३६६ दिन का होता है। यदि इलाही संवत को पूर्ण रूप से इसी पद्धति पर आधारित मान लिया जाये तब ११ मार्च १५५६ से आरंभ होकर अब तक इस संवत के ४३३ वर्ष बीत चुके हैं क्योंकि ईसाई संवत के वर्तमान प्रचलित वर्ष १९८६१५५६ -४३३ आता है । इलाही संवत का आरंभकर्ता मुगल बादशाह अकबर था। यह निर्विवाद है । अकबर के समय में लिखित साहित्य व इतिहास से इसके विषय में पर्याप्त उल्लेख मिलता है तथा इस संवत के आरम्भ की तिथि भी १५५६ ई० विद्वानों द्वारा निर्विवाद रूप से स्वीकार की गयी है। राहल सांकृत्यायन', आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव, कनिंघम', डी०एस० त्रिवेद ने ११ मार्च १५५६ ई० की तिथि १. डी०एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० ३१ । २. राहुल सांकृत्यायन, “अकबर", इलाहाबाद, १६५७, पृ० ३२० । ३ आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव, "अकबर महान्", (अनुवादक भगवानदास गुप्ता), आगरा, १९६७, पृ० ३१८ । ४. एलैग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १९७६, पृ० ८४ । ५. डी०एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० ५५ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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