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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १६१ बहुत से अरबी शब्दों को भी ग्रहण किया गया है। "इस सन के वर्ष अंकों में नहीं किन्तु अंक सूचक अरबी शब्दों में ही लिखे जाते हैं । मरहठों के राज्य में इस सन् का प्रचार रहा । परन्तु अब तो इसका नाम मात्र रह गया है और मराठी पंचांगों में भी इसका उल्लेख मिलता है। ज्योतिष परिषद् के नियमानुसार रामचन्द्र पाण्डुरंग शास्त्री मोघे वसईकर के तैयार किए हए शक संवत १८४० (चैत्रादि विक्रमी संवत १९७५) के मराठी पंचांग में वैशाख कृष्ण १३ (अमांत = पूर्णिमांत ज्येष्ठ कृष्ण १३) शुक्रवार को मृगार्क लिखा है और साथ में फसली सन् १३२८, अरबी सन् १३१६, सूर सन् "तिला अशर सल्लासे मया प अल्लफ" लिखा है। (तिला=६, अशर=१०, सल्लासे मया=३००, प%= और, अल्लफ=१०००) (ये सब अंक मिलाने से १३१६ होते हैं)।२ कलण्डर रिफोर्म कमेटी जो कि १६५० ई० में भारत सरकार द्वारा भारतीय पंचांगों का अध्ययन करने तथा विभिन्न संवतों के स्थान पर एक राष्ट्रीय पंचांग निर्माण करने के लिए बनाई गई थी कि रिपोर्ट में शाहर सन् का उल्लेख नहीं है। इसका वर्णन १६१८ ई० में गौरी शंकर ओझा ने लिया है । संभव है ओझा के समय तक इसका प्रचलन महाराष्ट्र में था क्योंकि ओझा ने मराठी पंचांगों से इसके संबंध में उद्धरण दिए हैं तथा अब प्रचलन बन्द हो गया है । इसी से कलैण्डर सुधार समिति की रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं है । इससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका प्रचलन क्षेत्रीय ही रहा होगा। मौहम्मद तुगलक को नये सुधार करने व नवीन कार्य प्रणालियों को अप. नाने वाला माना जाता है। अतः इस सन् का आरंभ भी उसने किया होगा। इसमें अविश्वसनीय जैसी कोई बात नहीं जान पड़ती। चन्द्रीय वर्ष में दो वर्ष १२-१२ माह व तीसरे वर्ष १३ माह होते हैं अतः वर्ष में दो बार भूमि कर वसूलने के कार्य में असुविधा को देखते हुए इस प्रकार की सौर वर्ष को ग्रहण करना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं थी। इसी समस्या को लेकर और भी बहुत से फसली पंचांगों का प्रचलन बाद में किया गया । अतः यह उचित ही जान पड़ता है कि मौहम्मद तुगलक ने प्रचलित हिजरी चन्द्रीय पंचांग को अरबी सौर पंचांग के साथ ताल मेल विठाकर इस नये पंचांग का आरंभ किया होगा और इस संबंध में श्री ओझा द्वारा उल्लिखित उपरोक्त विवेचन विश्वसनीय जान पड़ता है। १. वही पृ० १६१ (ओझा के पुस्तक लेखन के समय तक यह मराठी पंचांगों ___ में प्रयुक्त होता था)। २. वही ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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