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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् ११६ ३१९ ई० में गुप्त संवत् की स्थापना की पुष्टि और भी बहुत से विद्वानों ने की है । उदाहरणार्थ: डफ के अनुसार " ३१९ रविवार, ८ मार्च विक्रम संवत् ३७५ चैत्र शुदी प्रथम गुप्त अथवा वलभी संवत् का आरम्भ हुआ । इसकी तिथि चन्द्रगुप्त प्रथम के राज्यारोहण से आरम्भ होती है ।"" डा० वासुदेव का मत है : गुप्तों के तीसरे गजा प्रथम चन्द्रगुप्त ने अपने बाहुबल से राज्य का विस्तार किया तथा इसी ने सर्वप्रथम महाराजाधिराज की उपाधि धारण की । बहुत सम्भव है कि सिंहासनारूढ़ होने पर इसने यह पद्वी धारण की तथा उसी के उपलक्ष्य में अपने नाम के साथ गुप्त संवत् की स्थापना की । यह निःसन्देह है कि गुप्त संवत् या गुप्त काल संवत्सर का प्रारम्भ ई० सन् ३१६-२० से हुआ । इसी में समस्त गुप्त लेखों तथा समकालीन प्रशस्तियों की तिथियां दी गयी हैं । यह संवत् लगभग ६०० वर्ष तक प्रचलित रहा और गुप्त वंश के नष्ट हो जाने पर काठियावाड़ में वलभी संवत् के नाम से प्रसिद्ध हुआ । 2 श्री गुप्त का पुत्र घटोत्कच गुप्त तथा उसका पुत्र चन्द्रगुप्त प्रथम था | चन्द्रगुप्त प्रथम ने वीरतापूर्ण कृत्यों द्वारा गुप्त साम्राज्य का विस्तार किया तथा अपने राज्य के भावी उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त किया । उसने लिच्छिवियों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया तथा ३२० ई० में अपने राज्यारोहण की तिथि से गुप्त संवत् प्रारम्भ किया। उसके राज्य के अन्तगत बिहार का एक बड़ा भाग और सम्भवतः उत्तर प्रदेश व बंगाल का कुछ हिस्सा शामिल था पी० सी० सेन गुप्त ने खगोल शास्त्र के सिद्धान्तों के आधार पर विभिन्न भारतीय संवतों का आरम्भ बिन्दु निर्धारित किया है । गुप्त संवत् के विषय में उनका विचार है कि इसका आरम्भ " शक संवत् २४१ तथा ३१६-२० ई० के समान हैं । हम यह मानते हैं कि गुप्त संवत् १ जनवरी ३१६ ई० से पहले की शीत संक्रान्ति को आरम्भ हुआ । १६४० ई० तक गुप्त संवत् के बीते हुये वर्ष १. सी० मोबेल डफ, "क्रोनोलोजी ऑफ इण्डिया", भाग १, वाराणसी, १६७५, पृ० २७ । २. वासुदेव उपाध्याय, “गुप्त अभिलेख ", पटना, १६७४, पृ० १०७ । ३. राज कुमार शर्मा, "मध्य प्रदेश के पुरातत्व का सन्दर्भ ग्रंथ”, भोपाल, १६७४, पृ० २६-३० ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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