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________________ ॥ त्रयोदशमुकरणम् ॥ १. कवि अने तेनुं जीवन:___आ उद्धरण सरहना दोहकोशमाथी लेवामां आव्यु छे. आः उद्वरप्पना भाधारभूत प्रमाणो बारमा उद्धरणमां जणावेला प्रन्थ 'बौद्ध गान ओ दोहा' अने डॉ. शहिदुल्लासंपादित Les Chants Mystique de Kanha et de Saraha छे. दोहाकोशनो टीकाकार अद्वयबज सरहने सरोरुहबजा, सरोरुह के सरोजवज्र नाम आपे छे. तारानाथना इतिहास, प्रमाणे महार सिद्ध सरह आर्यावर्तना पूर्व प्रदेशमा रोली नामना स्थळे जन्म्यो हतो. ते ख्नपाल नामे राजानो समकालीन हतो. आ नाममा राजाए आसाममा इ. स. १०१०-१०५० सुधी राज्य कर्यु हतुं; एटले सरह इ. स. १००० ना आससमां थई गयो. सरहे दोहाकोशः उपरांत बोजा अपभ्रंश अने संस्कृत ग्रन्थो स्च्या छे; जे टीकाकारचा टांचण, सुभाषितसंग्रह इत्यादिः परथी मालम पड़े के (जुओ विस्तृत चर्चा माटे Shahidulla: Intro. P. 29.-32. ) दोहाकोशमां कुल ११४ टीबेटन वाचना प्रमाणे अने अपभ्रंश पाठ प्रमाणे कुल १०९ गीत छे. तेमाथी प्रस्तुत उद्धरणमा २२ गीत लीधां छे. २. उद्धरणवस्तुः सरह पण काहनी माफक शून्यतावादी छे; अने 'सहजसिद्धि । नुं ज प्रतिपादन करे छे. होम, कर्मकांड इत्यादिनां धतिंग करनार ब्राह्मण आचार्यों उपर ते सखत कटाक्ष करे छे..(१-४) त्यार पछी क्षपणकना बाह्याचारनी कटाक्षपूर्वक खबर ले छे. (५-६) करणा = स्वाधिष्ठानचित्तरूप सत्ता अने शून्यता ए बन्नेनो एकरस थाय ते ज मोक्ष छे. करुणाने छोडी जे शून्यने लागे छे, हे उत्तम मार्ग पामतो नथी; अथवा करुणा एकलीने ज समजवा यत्न करे छे ते संसारमा मोक्ष पामतो नथी. (७) मंत्र, तंत्र, ध्येय, धारण, ध्यान ए बधां य चित्तने खरडे छे. (८) ते दैत्य-समान मानवी अभिमानने लीघे तच्च जोई शकतो नथी अने सर्वे खरा ज्ञाननां साधनोने दूषित करे छे. (२) सत्ताने शून्यतामां लय करी समरस एवा सहजने पहोंचाय छे; तेमां शूद्र हो के पछी ब्राह्मण हो, तेनो भेद रहेतो नथी. (१०) एकली सत्ताथी उत्पत्ति थाम के अने क्षयथी विनाश थाय छे... सत्ता ( Existence) ज न होय वो फ्छो उत्पन्न थवानुं ज क्याथी होय ? भाव अने क्षय बन्ने अ शून्यताने पामता खरो योग प्राप्त थाय छे, एम श्री गुरुनाथ कहे छे.
SR No.023391
Book TitleApbhramsa Pathavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Chimanlal Modi
PublisherGujarat Varnacular Society
Publication Year1935
Total Pages386
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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