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________________ सर्प को देखकर सूचित कर पिता को प्राण हानि से बचाया अतः पार्श्वकुमार नाम रखा गया । ४. बाललीला अतुल बल वीर्य के धारक पार्श्वप्रभु १००८ शुभ लक्षणों से विभूषित थे। सर्पलांछन वाले पार्श्वकुमार बालभाव में अनेक राजकुमारों और देवकुमारों के साथ क्रीड़ा करते हुए उड्डगण में चन्द्र की तरह चमकते रहे थे 1 ५. पार्श्वनाथ और कमठ का वैर पार्श्वनाथ के जन्म के पूर्व नौ भवों से पार्श्वनाथ के जीव और कमठ के जीव में वैर चलता रहा । वैर का प्रारंभ इस प्रकार हुआ । पोदनपुर नामक नगर में विश्वभूति नामक एक शास्त्रज्ञ ब्राह्मण रहता था । कमठ और मरुभूति नामक उसके दो पुत्र थे । कमठ की पत्नी का नाम वरुणा था और मरुभूति की पत्नी का नाम वसुंधरा था । कमठ दुराचारी और पापी था । इसके विपरीत मरुभूति सदाचारी और धर्मात्मा था । मरुभूति की पत्नी वसुंधरा के निमित्त के उन दोनों सहोदर भाइयों के बीच एक ऐसी घटना घटित हुई जिसके कारण कमठ ने अपने छोटे भाई मरुभूति को मार डाला। इसी घटना के कारण कमठ और मरुभूति के जीवों में वैर प्रारंभ हो गया । पाप कर्म के कारण कमठ का जीव अनेक दुर्गतियों में भ्रमण करता हुआ ग्यारहवें भव में शम्बर नामक ज्योतिषी देव हुआ । और मरुभूति का जीव अपने पुण्य कर्म के कारण अनेक सुगतियों में उत्पन्न होकर दसवें भव में पार्श्वनाथ हुए। कमठ का जीव कमठ की पर्याय के बाद सर्प हुआ, फिर नरक गया। तदनन्तर अजगर हो कर नरक गया, फिर भील होकर नरक गया । तदनन्तर सिंह होकर नरक गया। इसके बाद महीपाल नामक तापस होकर शङ्खश्वर तीर्थ 109
SR No.023336
Book TitleTritirthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRina Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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