SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर एक अवर्णनीय उपकार ही था । वृद्ध कुमारिकाएं आयुष्य पूर्ण कर विविध व्यंतरनिकाय के इंद्रों की इंद्राणियां बनीं। ' एक उपेक्षित नारी का जीवन से मुक्ति पाकर इंद्राणी पद पाना' इस महान् उपकार का स्मरण कर वे पूर्वभव के परम उपकारी प्रभु पार्श्वनाथ के उपकार की महिमा का विस्तार करने से स्वयं को कृतकृत्य समझने लगी हों यह कोई असम्भव बात नहीं है । क्योंकि शिष्य, गुरु के उपकारों का सदैव ऋणी रहता है और गुरु की महिमा ही बढ़ाता है । इनके अलावा संतान प्रदाती बहुपत्रिका देवी तथा सूर्य-चंद्र तथा शुक्र महाग्रह भी पूर्व भव में भगवान पार्श्वनाथ के शिष्य थे। ये सभी देव वर्तमान अवसर्पिणी काल में विद्यमान हैं और अपने परमोपकारी धर्म-गुरु- भगवंत का नाम स्मरण जप-ध्यान करने वाले भक्तों की सहायता करें, उनके मनोरथ पूर्ण करें, इसमें आश्चर्य नहीं अपितु बहुत स्वाभाविक लगता है । यह उपकारी के उपकारों से ऋण मुक्ति का एक सहज प्रयत्न मात्र समझना चाहिए । इसी के साथ नागकुमारों के इंद्र धरणेन्द्र और इंद्राणी पद्मावती देवी का आज प्रभु पार्श्वनाथ की महिमा के विस्तार तथा भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने में विशिष्ट योगदान है। राजकुमार. पार्श्वनाथ तापस कमठ की धूनी में एक नाग (कुछ आचार्यों ने केवल एक नाग माना है जबकि कुछ आचार्यों ने नाग-नागिन का जोड़ा माना है) को जलते देखकर निःस्वार्थ करुणाभाव से द्रवित हो उठे और उसे तुरंत जलती अग्नि से बाहर निकलवाकर नामोकार मंत्र सुनाया । नाग की क्रोध-राग से उत्तेजित भावनाएं शांत हुईं। करुणामूर्ति पार्श्वनाथ के सान्निध्य से उसका क्रोध भक्तिभाव में बदल गया। रोष श्रद्धा में परिणित हो गया । अपार पीड़ा में भी शान्ति का अनुभव किया। रोष वश दुर्गति में जाने के स्थान पर भक्तिभाव से पवित्र हो सद्गति में और वह भी नागकुमारों का इंद्र ( धरणेंद्र) बना, यह कितना महान् उपकार है । एक सामान्य नाग को नागेन्द्र बनाने वाले महाउपकारी भगवान पार्श्वनाथ ही थे । 106 त्रितीर्थी
SR No.023336
Book TitleTritirthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRina Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy