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________________ प्रथमपरिच्छेद . ३१ वी ॥ जिह सुजिह मिगावइ, पजावई चिह्नणा देवी ॥ ॥ बंजी सुंदरी रुप्पिणि, रेवई कुंती सिवा जयंती य ॥ देवइ दोवइ धारिणी, कलाव ई पुप्फचूला य ॥ १० ॥ पनमावई य गोरी, गं धारी लकमणा सुसीमा य ॥ जंबूवइ सच्चना मा, रुप्पिणि कन्द महिसी ॥ ११ ॥ जका य जखदिन्ना, नूच्या तह चेवनूय दिन्ना य ॥ सेणा वेणा रेणा, जयणी इच्चाइ महासइजे, जयंति आर्जु ॥ प्रवि वजइ जासिं, जस पडदो तिहु सयले ॥ १३ ॥ ॥ इति सता सतीयोनी धूलिनदस्स ॥ १२ ॥ कलंकसीलकलि सद्याय ॥ ४० ॥ ॥ ५० ॥ अथ श्री मन्दजिणाणं सद्याय ॥ ॥ मन्दजिणाणं आणं, मित्रं परिदरद धर सम्मत्तं ॥ बदि वस्सयंमि, नकुत्तो होइ पइ दिवसं ॥ १ ॥ पसु पोसढ़वयं, दाणं सीलं तवो अ जावो ॥ सजाय नमुक्कारो, परोवया रो अजय ॥ २ ॥ जिणपूर जिनथूणि णं, गुरुथु साहम्मियाणा वचनं ॥ ववदार स्य सुधी, रहजुत्ता तिचजुत्ता य ॥ ३ ॥ नव
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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