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________________ अर्पण पत्रिका. रायबहादूर बाबु साहब श्रीयुत बुधसिंघजी उधेरिया. जो किचनी मुर्शिदावादांतर्गत अजिमगंजमें रहते हैं. इनोके आश्रयसे यह पुस्तक प्रकाशित हुवा. इस लिए उक्त महोदयका संक्षिप्त जीवन वृत्तांत प्रकाशित करनेकी आवश्यकता देखतें हैं. बाबुसाहबके पूर्व पुरुष हरजीमलजी उधेरिया पहिले मारवामशे मुर्शिदावादमे व्यापारके लिए श्राय बसे थे. हरजीमलके पुत्र सवासिंघजी और तिनके कुलदीपक सुपुत्र हरखचंदजी जो की अपने आश्रयदाता महोदयके पिता थे उन महोदयने व्यापार और जागिरदारीके व्योपार में कितनाक न्यायोपार्जित अव्य उपार्जन किया. बाबु साहेब हरखचंदजी सने १७६२ में स्वर्गस्थ दुवे. जब उनको सर्वलोग परिपूर्ण श्रीमंत कहते थे और वो अबी नामंदारी धारण करतेथे. वे महोदय अपने पीगमी रायबहार श्रीयुत बुधसिंघजी और श्रीयुत विसनसिंघजी उधेरिया दो सुपुत्रं रख गए थे. यह दोनो सुपुत्रे अपने पिताके मरण समय लघु (बाट्यास्थामे) थे. उन समय अपने पिताकी लदमी और बमानारी व्यापार उन दोनोके हाथमे श्राया. यह दोनों महोदयें ज्यौं ज्यौं बढते गए त्यौं त्यौं ऐक्य और सलाह संपसें रहते थके वितीयाके मंजवत् अपना अच्युदयमें और बलबुद्धी पराक्रममें बढ़ते गएराय बहार बुधसिंघजी विनयवान् धैर्यवान् विवेकी और मिलनसार व उद्योगी हुवे.......
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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