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________________ जुठी जगतकी माया. मान कहा अब मेरा. मुस्योजमत कहारे. जागरे बटाउ. बिसत वारन लागे. जुवी जगमाया नर के . मेरे घट ज्ञान जान नयो.. यापुदगलका क्या विश्वासा. गौतमाष्टक बंद . तिजय पहुत. नमिऊनामक स्मरणं.. .... .... .... .... .... नक्तामर स्मरणं. कल्याण मंदिर स्तोत्रम्. वृद्ध गोतम स्वामीनो रास. महावीर जिन बंद. नवकारनो बंद. शोलस तिनो बंद. नवकार लघु बंद. जिनपंजर स्तोत्र. ग्रहशान्तिस्तोत्रम्. मंत्राधिराज स्तोत्रम्. लघु जिनसहस्रनाम. पार्श्वजिन स्तुति. शंखेश्वर जिनस्तव. पार्श्वजिन स्तोत्रम् . परमात्मा स्तोत्रम्. नमस्कार स्तोत्रम् . 0000 .... १० .... 3008 040 .... .... 0006 .... .... .... 2100 .... .... .... .... .... .... .... 90.0 .... ४५३ ४५३ ४५४ ४५४ ४९४ ४५५ ४५५ ४५६ ४५७ ४५८ ४ .... 6300 0.00 .... DOGS ४६१. ४६७ ४७३ ४८१ ४८३ ४०६ BOR ४८‍ ४ए १ ४२ ४५ पुण् ყდ ५०० ५०२ ०३
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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