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________________ द्वितीयपरिच्छेद. ३५ ग्लान साधु वेयावच्च तपसे नमः । ३६ श्रमणोपासक वेमावच्च तपसे नमः । ३७ संघ वेयावच्च तपसे नमः । ३८ कुल वेयावच्च तपसे नमः । ३० गण वेयावच्च तपसे नमः । ४० वायणा तपसे नमः । ४१ प्रचना तपसे नमः । ४२ परावर्त्तना तपसे नमः । ४३ अनुप्रेक्षा तपसे नमः । ४४ धर्म कथा तपसे नमः । ४५ श्रार्त्तध्यान निवृत्त तपसे नमः । ४६ रोsध्यान निवृत्त तपसे नमः । ४७ धध्यान चिंतन तपसे नमः । ४८ शुक्लध्यान चिंतन तपसे नमः । ४ बाह्य उपसर्ग तपसे नमः । ५० अभ्यंतर उपसर्ग तपसे नमः । ॥ इति पंचासत् तपनेदाः ॥ २१३ ॥ इस रीतसें (५०) नमस्कार करै । ( खमा होके ) अन्न उससि ए० ( इत्यादि कहै ) (५०) लोगस्सके काउस्सग्ग करिके । एक लोगस्स कहै । (पीछे) पूर्वोक्त करणी करे । इति नवम दिवस विधि ॥
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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