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________________ १६० जैनधर्मसिंधु. राजसूरीय गढ प्रतिक्रमण विधि. समग्र विधि तपेग समान जाणना. लहुडी पोसाल गढ प्रतिक्रमण विधि. समग्रविधि तपेगब प्रतिक्रमण समानजाणना. कमल कलसा गब प्रतिक्रमण विधि. समग्रविधि तपेगबके प्रतिक्रमणके विधि समान जाणना. कवलागब प्रतिक्रमण विधि. समग्रविधि तपेगबके प्रतिक्रमण विधि समान जाणना. विजयगड प्रतिक्रमण विधि. समग्रविधि तपेगबके प्रतिक्रमण समान जा णना विशेषमात्र इतना दे की कर्मक्षय निमित्त काउसग्गके पश्चात शांतिलोगस्स कदके कहते. पायचंग प्रतिक्रमण. तमामविधि तपगड समान जाणना परं विशेष मात्र यहहे की प्रथम देव वंदनके समय पुकरवरदीवढे प्रमुख न कहते चारों थुश्मात्र एक साथ कहदेतेंदे. और कितनीक संकलनामात्र निन्न दे.
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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