SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचमी लघु स्तवन. ज्ञानपंचमीनुं स्तवन. अष्टमीनुं स्तवन. एकादशी स्तवन. श्राराधनानुं स्तवन. सिद्धचक्रजी नुं स्तवन समरीसारदमाय. नवपदजी नुं स्तवन, नवपदध्यान. मङ्गल मुरतपाशकी. श्राजमहोबवरंगरलीरी...... मङ्गलराजे गिरनार. गावोमङ्गलवार. की जे मंगलाचार. श्रजकीरेण सोहाई पोढोपोढोजी शषनप्यारे. राखोनाथवडा इ. श्रावोगांवो वधाईमोरी साथनीयां. जोबधाई राजाना निकेदरबार. .... ...G .... 8000 .... .... मंगलरेगावत सकलसुरनार. आजकी रेसोहानि प्रभुकोनामा मोलहे बलिहारी मरूदे विनन्दकी. जगदीवातुमेराप्र श्रजप्रभुतेरे चरणलाग... नेमजिनंदसुंश्रांखमली दृगनजररी देखन देमुखचंद. मेरी लागी लगन. रातगई बात होननयो. ...B .... .... .... .... 1006 0000 0306 .... 1000 .... .... .... 1000 .... .... **** .... 2000 0880 3400 .... .... .... ..... .... ... 1000 **** .... .... **** ** .... .... ... 0800 .... .... .... .... .... .... .... : २०४ २८५ २३ २७ ३०१ ३११ .... ३१२ ३१३ "" "" ३१४ 55 ३१५ " " "" ३१६ ३१ 151 ३१७ + 25 ܕ ३१८ 5 "" 12 "" 154
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy