SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथमपरिछेद. १४३ ग्गढ़ धारा ॥ १ ॥ पंचमदवय धारा, अढार स दस्स सीलिंग धारा, प्रख्यायारचरित्ता, ते सवे सिरसा मासा मचरण वंदामि ॥ २ ॥ पु सि रिअर किय, गुरुणो तप्पट्टिय पुजयसिंहा ॥ सूरिसिरि धम्मघोसा, महिंद सिंहा तर्ज गुरु णो ॥ ३ ॥ तप्पय सिरिसिंहपदा, तेसिं प जियसिंद वरगुरुणो ॥ देविंद सिंहगुरुणो तप्पय सिरिधम्मपद सूरि ॥ ४ ॥ सिरिसिंह तिलसूरी, तप्प सिरिमहिंद पद गुरुणो ॥ सिरिमेरुतुंग गुरुणो, तप्पय जयकित्तिगुरुराई ॥ ५ ॥ सिरि जयकेसरिसूरी, तप्पइ सिधंत सायरो सुगुरु ॥ सिरिनावसायर गुरु, तप्पय सूरिगुण निदाणो ॥ ६ ॥ सिरिधम्ममुत्तिसूरी, तप्पर कलाण सा यर मुदो || सिरि अमर सार गुरु, कल्लाप कुन संघस्स ॥ ७ ॥ तप्पट्ठि पुत्र पुवय माणु विज्ञाय सायरं सूरि ॥ सिरिजदय सायर सूरि, तप्पय गुणमणि रुहाणं ॥ ८ ॥ श्रीकीर्तिसागर सूरि, श्री पुण्यसागरसूरि, श्रीराजेंप्रसागरसूरि श्री मुक्तिसागर सूरियं वंदे, विहरमान श्री वि वेकसागर सूरियं वंदे. अचल गवनायकं वंदे.
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy