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________________ प्रथमपरिछेद. यागारेणं, वोसिरे ॥ इति तिविदारनुं ॥६५॥ ॥६६॥ चोथु उविहार- पञ्चरकाण ॥ ॥दिवस चरिमं पच्चरकाश ॥ उविपि आदा रं, असणं, खाश्मं, अन्नबणानोगेणं, सहसा गारेणं, महत्तरागारेणं सव समादिवत्तियागा गारेणं वोसिरे इति ॥६६॥ ॥ पांचमुंजे नियम धारे तेने देशावगासिय नुं पच्चरकाण करवू तेनो पाठ कदे ॥ ॥६॥ देसावगासिअंजवनोगंपरिनोगंपच्च काइ॥ अन्नबणानोगेणं, सहसागारेणं, मद त्तरागारेणं सव समादिवत्तियागारेणं वोसिरे६७ ॥६॥ टुं पोसदनु पच्चरकाण ॥ ॥ करेमि नंते पोसहं, आहारपोसहं देस सवर्ड, सरीर सक्कार, पोसहं सवर्ड, बंनचेर पोसहं सवले, अश्वावारपोसहं सवर्ड, चनविदे पोसहं गमि॥ जाव दिवसं अहोरतं पडवा सामि ॥ विदंतिविदेणं ॥ मणेणं, वायाए, काएणं, न करेमि न कारवेमि, तस्स नंते पडि क्वमामि, निंदामि, गरिदामि, अप्पाणं वोसि रामि ॥ इति पञ्चखाणानि संपूर्णानि ॥६॥
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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