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________________ का पुत्र हुआ तथा मनोहारी नाम की पुत्री हुई। किन्तु दुर्भाग्य से अपनी पुत्री के युवा होने पर दक्ष उस पर आसक्त हो गये। प्रजा की आज्ञा से उन्होंने अपनी पुत्री मनोहरी से विवाह कर लिया। इसे दक्ष की पत्नी इला देख न सकी। अतः वह अपने पुत्र ऐलेय को लेकर किसी दुर्गम स्थान में चली गई। महारानी इला ने बाद में इलावर्धन नाम का एक सुन्दर सा नगर बसाया व अपने पुत्र ऐलेय को वहां का राजा बना दिया। इन्होंने बाद में अंग देश में ताम्रलिप्ति नगर बसाया। नर्मदा किनारे भी ऐलेय ने महिष्मति नाम की सुन्दर नगरी की रचना की व यहीं रहकर राज्य करने लगा। वृद्धावस्था में उसने अपने पुत्र कुणिम को राज्यभार सौंपकर मुनि दीक्षा ग्रहण कर ली। कुणिम नरेश ने बाद में विदर्भ देश में वरदा नदी के किनारे कुण्डित नाम का नगर बसाया। कुणिम नरेश का पुत्र पुलोम था। राजा बनने पर उसने भी एक अलग नगर पुलोमपुर बसाया। कुणिम नरेश के दो पुत्र थे-पोलोम एवं चरम। आयु के अंत में उसने राज्यभार अपने दोनों पुत्रों का सौंप दिया व स्वयं मुनि दीक्षा ले ली। पोलोम व चरम शासकों ने मिलकर रेवा नदी के तट पर एक अति सुन्दर नगरी की रचना करवाई व उसका नाम इन्द्रपुर रखा। इन्होंने जयंती व वनवास्य नगरों की रचना भी करवाई। बाद में पोलोम ने अपने पुत्र महीदत्त व नरेश चरम ने अपने पुत्र संजय को राज्य का भार सौंपकर जिनदीक्षा धारण कर ली। इसके बाद नरेश महीदत्त ने कल्पपुर नाम का नगर बसाया। राजा महीदत्त के दो पुत्र थे। बड़े का नाम अरिष्टनेमि व छोटे का नाम मत्स्य था। बड़े होने पर मत्स्य नरेश ने भद्रपुर व हस्तिनापुर के नरेशों को परास्त कर उन्हें जीता व स्वयं हस्तिनापुर रहने लगा। मत्स्य नरेश के 100 पुत्र थे। बड़े पुत्र का नाम अयोधन था। इस तरह हस्तिनापुर का शासन मत्स्य के बाद अयोधन ने संभाला। इसके बाद हस्तिनापुर में क्रमशः मूल, शाल, सूर्य आदि राजाओं ने राज्य किया। सूर्य ने एक शुभ्रपुर नाम का नगर बसाया। सूर्य के बाद उसका पुत्र अमर हस्तिनापुर का शासक बना। इसने भी वज्र संक्षिप्त जैन महाभारत. 27
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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