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________________ हमारे महत्वपूर्ण प्रकाशन जैन वाड्मय रत्न कोश सं.- आचार्य अशोक सहजानन्द ग्रंथराज वही है जो हमारी आत्मचेतना को जगा दे, जिसमें उच्च-चिंतन हो और जीवन-सत्य का प्रकाश हो। जैन धर्म-दर्शन की वास्तविकता को समझने के लिए मात्र यही एक कोश पर्याप्त है। इसमें चारों वेदों का सार है। आप घर बैठे चारों धाम की यात्रा का आनन्द ले सकते हैं। गृहस्थ में रहते हुए भी संन्यास को यथार्थ रूप में अनुभव कर सकेंगे। हर मुमुक्षु के लिए आवश्यक रूप से पठनीय ग्रंथराज। जैन कथा साहित्य जैन साध्वी प्रवर्तनी डॉ. चंदना एक विशिष्ट लीक से हटकर गहन चिंतन-मनन परक मौलिक शोध प्रबंध जिसके महत्वपूर्ण अध्याय हैं- जैन कथा साहित्य की पृष्ठभूमि, कथा तत्व और जैन कथा साहित्य का वस्तुपक्ष, शिल्प का सैद्धांतिक स्वरूप तथा विशेषताएं, जैन कथाओं का वर्गीकरण, जैन कथा साहित्य में भाषा प्रयोग, मूल्यांकन की उपयुक्तता तथा प्रयोजन, निष्कर्ष (उपसंहार)। शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर । एक संग्रहणीय कृति। जैन वाङ्मय में तीर्थंकर एवं अन्य महापुरुष प्रो. प्रकाश चन्द्र जैन इस कृति में सृष्टि-क्रम एवं काल-विभाजन के वर्णन के साथ ही जैनधर्म की प्राचीनता को सिद्ध किया गया है। चौदह कुलकर, बारह चक्रवर्ती, बलभद्र, नारायण, प्रति-नारायण, रुद्र, नारद, कामदेव आदि के वर्णन के साथ चौबीस तीर्थंकर एवं उनके माता-पिता का प्रामाणिक वर्णन है। एक विशिष्ट संदर्भ ग्रंथ। जैन वाड्मय में भूगोल प्रो. प्रकाश चंद्र जैन इस पुस्तक के लेखक देश के जाने-माने भूगोलविद् हैं। इस पुस्तक में उन्होंने जैन ग्रंथों में उल्लिखित ब्रह्माण्ड-विज्ञान व भूगोल की सामग्री को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समझाने का स्तुत्य प्रयास किया है। अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए उपयोगी संदर्भ ग्रंथ। तीर्थ वंदन संग्रह सं.- कुसुम जैन जैन तीर्थों के इतिहास से सम्बद्ध 40 स्वनामधन्य लेखकों के विशिष्ट साहित्यिक उल्लेख इस कृति में संकलित किये गए हैं। सभी लेखकों के विवरण भी इस ग्रंथ में उपलब्ध हैं। 180 - संक्षिप्त जैन महाभारत
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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