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________________ गदा, अमोघमूल शक्ति, पांचजन्य शंख, कौस्तुभ मणि ये श्रीकृष्ण के सात रत्न थे। श्रीकृष्ण की आयु 1000 वर्ष की थी। उनके शरीर का उत्सेध 10 धनुष था। उनके शरीर का वर्ण नील कमल सदृश्य था। उनके सात रत्नों की देवता रक्षा करते थे। रूक्मणि, सत्यभामा, जाम्बवती, सुसीमा, लक्ष्मणा, गांधारी, गौरी एवं प्रिया पद्मावती ये उनकी आठ पटरानियां थीं। श्रीकृष्ण की कुल 16000 रानियां थीं। 16000 नरेश उनकी सेवा करते थे। वहीं बलदेव के अपराजित नामक दिव्य हल, दिव्य गदा, दिव्य मूसल, दिव्य शक्ति व दिव्य माला ये पांच रत्न थे। बलदेव के 8000 रानियां थीं। पांडवगण अपनी सेना के साथ हस्तिनापुर चले गये। जहां वहां की प्रजा ने उनका आत्मीय स्वागत किया। वे राज्यसिंहासन पर आरूढ़ होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करने लगे। वे सर्वरूपेण वैभव से सम्पन्न एवं परम आनन्दित थे। वहां की प्रजा शीघ्र ही दुर्योधन को भूल गई। जिन पांडवों ने शत्रुओं का विनाश कर विजय यश प्राप्त किया, व इन्द्र के समतुल्य ऐश्वर्यशाली हुए। संसार के लिए भयनाशक सिद्ध हुए एवं धर्म के धारक हुए, उन पांडवों की जय हो। 14. संक्षिप्त जैन महाभारत
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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