SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दुर्योधन भी वहीं एक स्थान पर धराशायी था एवं उसका अंतिम क्षण सन्निकट था। उसे ऐसी विपन्नावस्था में देखकर श्रीकृष्ण ने दुर्योधन से कहा - ' हे बंधु ! तुम्हारे जीवन का यह अंतिम मुहूर्त है अब दयामयी जैनधर्म का स्मरण करो, द्वेष की भावना को त्याग कर अपने हृदय को पवित्र कर लो। धर्म के ही प्रभाव से जन्म-जन्मांतर में जीवों को सुख प्राप्त होता है। इसलिए धर्म की ओर अपनी प्रवृत्ति उन्मुख करो। इसी मार्ग का अनुसरण करो। इसी मार्ग का अनुसरण करने से तुम्हारा कल्याण होगा। परन्तु दुरात्मा दुर्योधन को श्रीकृष्ण के ये वचन कर्णप्रिय नहीं लगे। वह बोला- 'तुम मेरी इस प्रकार दुर्गति को देखकर प्रफुल्लित मत होना। मेरा मरण हो ही नहीं सकता। तुम निश्चित समझ लो कि तुम सभी का सर्वनाश मेरे ही द्वारा होगा। तुम मुझे चाहे जितना भी परामर्श दो, मैं तुम्हें क्षमा नहीं कर सकता।' दुर्योधन के इस अप्रिय उत्तर को सुनकर श्रीकृष्ण ने निश्चित कर लिया कि यह घोर पापात्मा है। तभी तो जीवन के अंतकाल में भी धर्म का उपदेश इसे रूचिकर प्रतीत नहीं हो रहा है। इसके पश्चात् दुर्योधन ने अशुभ लेश्या से मृत्यु का आलिंगन किया एवं पाप बंध के कारण दुर्गति को प्राप्त हुआ। ऐसा पांडव पुराण कथन करता है। किन्तु वहीं दूसरी ओर हरिवंश पुराण लिखता है कि दुर्योधन, कर्ण, गुरु द्रोणाचार्य एवं दुःशासन ही युद्ध में जीवित बचे थे। उन सभी ने युद्ध के पश्चात् प्रायश्चित रूप संसार से विरक्त होकर विदुर मुनिराज के पास दीक्षा ग्रहण कर ली थी। वे सभी मुनि बन कर तपस्या करने लगे थे। कर्ण ने भी सुदर्शन उद्यान में विराजमान दमवर मुनिराज के पास जाकर दीक्षा ले ली थी। दूसरे दिन सुभटों के घाव ठीक किये गये व जरासंध आदि सभी मृत व्यक्तियों की चंदन, अगुरू आदि सुंगधित द्रव्यों से दाह क्रिया सम्पन्न हुई। जरासंध आदि का भी सम्मानपूर्वक दाह संस्कार किया गया। एक दिन जब श्रीकृष्ण सभा मंडप में बैठे थे, तभी अनेक विद्याधारियां वेगवती 152 संक्षिप्त जैन महाभारत
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy