SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१) देवरचासौ रचनाः देवरचना (२) देवम् रचनाः देवरचना (३) देवेन रचना ः देवरचना (४) देवाय रचनाः देवरचना (५) देवात् रचना ः देवरचना (६) देवस्य रचना ः देवरचना (७) देवे रचनाः देवरचना देवरचनामें 'देवस्य रचना' यह षष्टी विभक्ति परक अर्थ घटित होता हैं अर्थात् देवकी रचना या देवसम्बन्धी रचना। देव कौन ? भूदेव, गुरुदेव, नामदेव, स्थापनादेव, द्रव्यदेव, भावदेव या वैदिक धर्ममें मान्य अग्निदेव, वायुदेव आदि आदि। यहां देवरचना ग्रंथमे देव अर्थात् देवगतिमें स्थित देव जो चार प्रकार के हैं - भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक। देवरचनाः छंद विधानः छंद - छंदवद्ध रचना काव्यसाहित्य की वह विधा है, जिसमें वर्ण और मात्राओं का विशिष्ट तालमेल, सुमेल होता है। जो अलग अलग सूर, ताल, लय, गति, यति, तुक, आरोह, अवरोह के साथ गाया जा सके वह छंद कहलाता है। छंदको समझने के लिये अवयवों को जानना जरूरी है यथा - यति - छंदको गाते या पढते हुए वीचमें कुछ रुकना पडता हैं उस स्थान को गद्यमें अर्थविराम और पद्यमें यति कहते हैं। गति - छंदको लयमें आरोह-अवरोह के साथ पढा जाता है अथवा गाया जाता हैं, छंदकी इस लयको गति कहते है। तुक - पद्य रचनामें चरणांतक साम्यको तुक कहते हैं अर्थात् पदके अंतमें एक जैसे स्वर वाले एक या अनेक अक्षर आते है उन्हे तुक या छेकानुप्रास कहा जाता है। चरण - छंदकी प्रत्येक पंक्तिको चरण कहते हैं। प्रायः सभी छंद चार चरण के होते है। कुछ छंद दो चरणवाले (मरहटा) या छ: चरणवाले (छप्पय, कुंडलिया) भी होते है। छंदके भेदः (१) वार्णिक छंद (२) मात्रिक छंद (१) वर्गों की विविध प्रकार की संयोजना से बने हुए छंद वार्णिक छंद हैं। वर्ण दो प्रकार के होते है - एक मात्रिक और द्विमात्रिक। एक मात्रावाले वर्ण को लघुवर्ण तथा दो मात्राके वर्णको गुरुवर्ण कहते है। लघुका संकेतचिह्न ।' है और गुरुका संकेत चिह्न '5' हैं। मात्राके आधारपर वर्णोंका उच्चार होता हैं अतः वार्णिक छंद मात्राप्रधान होते है पर मात्रिक छंदोसे भिन्न, बहुरंगी होते है। वार्णिक छंदो को समझने के ૨૦ + ૧૯મી અને ૨૦મી સદીના જૈન સાહિત્યનાં અક્ષર-આરાધકો
SR No.023318
Book TitleJain Sahityana Akshar Aradhako
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalti Shah
PublisherVirtattva Prakashak Mandal
Publication Year2016
Total Pages642
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy